एक सत्संगी ने बताई अपनी । सच्ची आप बीती । मरते वक्त उसके साथ क्या क्या हुआ ! ज़रूर सुने

गुरु प्यारी साध संगत जी यह साखी बड़े महाराज जी के समय की है उस वक्त संगत इतनी ज्यादा नहीं हुआ करती थी केवल हजारों की तादाद में संगत हुआ करती थी और डेरा भी इतना विकसित नहीं हुआ था तब एक बीवी जो की अक्सर डेरे में जाया करती थी और वहां जाकर संगत की सेवा किया करती ,खूब मन से सेवा करती और बाबा जी के हुकुम में रहकर उनका भाना मानकर उनके बताए गए नियम अनुसार अपना जीवन व्यतीत करती वह सेवा का मौका कभी भी नहीं छोड़ती जब भी उसे सेवा का अवसर मिलता वह उस अवसर को जाया नहीं जाने देती उसने अपनी सारी उम्र में डेरे में खूब सेवा की और उस वक्त महाराज जी से बात भी आसानी से हो जाया करती थी किसी भी तरह की कोई रोक-टोक नहीं थी तो वह बीबी जब भी सेवा पर जाती महाराज जी से बहुत सारे प्रश्न पूछती महाराज जी उसके हर सवाल का जवाब उसे दे देते तो ऐसे ही उस बीवी का जब अंतिम समय आया तो महाराज जी 2 दिन पहले उसके सपने में आकर उसे कहते हैं कि काको तैयार हो जा मैं तुझे ठीक 2 दिन बाद ले जाऊंगा तो वह एकदम से जाग गई और खिलखिला के हंस पड़ी लेकिन उसके मन में एक दुविधा थी कि मैंने तो अपनी सारी उम्र में सेवा सत्संग यह सब ही किया है मेरे से भजन बंदगी इतनी ज्यादा नहीं हुई तो क्या मैं सच खंड की भागीदार हूं भी या नहीं तो उसने यह प्रश्न भी महाराज जी से पूछ लिया जब वह डेरे गई तो उसने सबसे पहला प्रश्न महाराज जी से यही किया कि महाराज जी आज मुझे सुबह सपना आया कि आप मेरे पास आए और मुझे कह कर गए कि मैं तुझे ठीक 2 दिन बाद लेने आऊंगा महाराज जी भी खिल खिला कर मुस्कुरा पड़े और महाराज जी ने कहा की अब क्या प्रश्न है तेरा उस बीवी ने कहा कि महाराज जी मेरे से तो सेवा ही संगत की हुई है भजन बंदगी तो मेरे से हुई नहीं तो क्या मैं सचखंड की भागीदार हूं भी या नहीं तो यह सब सुनकर महाराज जी फिर से मुस्कुरा पड़े महाराज जी ने कहा काको जो मेरी संगत की सेवा करता है उसे तो मैं हर हाल में सचखंड लेकर ही जाऊंगा फिर चाहे जो हो जाए और उसे भजन सिमरन करवाना भी मैं जानता हूं तू आज घर जाकर भजन पर बैठ जाना तेरे सारे सवालों का जवाब तुझे उसी में मिल जाएगा तो उस बीवी ने महाराज जी का यह हुक्म माना और जब वह घर गई तो उसने अपने घर वालों को सभी को बोल दिया कि आज के दिन मुझे कोई परेशान ना करें मैं आज किसी से भी बात नहीं करूंगी आज कोई भी मेरे कमरे में नहीं आएगा तो वह भी अपने कमरे में ताला लगाकर अंदर बैठ गई तो लगातार बैठी रही सुबह से लेकर शाम हो गई अब तो रात भी हो गई घरवाले भी हैरान हो गए कि यह क्या हुआ मांझी अभी तक बाहर क्यों नहीं आई ,कहीं कुछ हो तो नहीं गया, उन्हें भी डर लगने लगा लेकिन वह भी क्या कर सकते थे क्योंकि मांझी ने बोला था कि मुझे कोई परेशान ना करें और ना ही मेरा कमरे में कोई आए तो उन्हें भी चिंता होने लगी तो उसके बाद जब रात को लगभग 2:00 बजे अपने भजन से उठी तो उसके चेहरे पर लग ही नूर था चमक थी गुरु का प्यार था तो यह सब देखकर सभी घरवाले हैरान रह गए कि यह मांझी को क्या हो गया है इनका सब कुछ बदल गया है यह पहले जैसी नहीं है उनके घर वालों को पता चल चुका था कि मांजी को अवश्य ज्ञान हो गया है तो अगले दिन वह बीवी सीधा महाराज जी के पास गई तो महाराज जी खिलखिला के हंस पड़े लेकिन उस बीवी ने बाबा जी से कहा कि महाराज जी आपने तो कहा था कि आप मुझे लेने आओगे फिर आप आए क्यों नहीं मैं तो आपका इंतजार कर रही थी देर रात तक इंतजार किया लेकिन आप नहीं आए महाराज जी ने मुस्कुरा कर कहा कि काको देख मैं तुझे लेने आया था तभी तो तू इस ज्ञान को उपलब्ध हो पाई है मैं तुझे लेने आया था मैं तेरे पीछे ही था जब तू ध्यान में थी ताकि तेरे को कोई दिक्कत ना आए और देख अब तू ने तो सब जान लिया है अब तूने तो मर कर भी देख लिया है अब तुझे किस चीज का डर अब तुझे मौत से भी कोई डर नहीं तो उस बीवी के आंखों में से आंसू निकल पड़े और महाराज जी के चरणों में गिर पड़ी तो वहां बैठी सारी संगत की आंखों में भी आंसू आ गए महाराज जी ने उस समय वहां पर मौजूद संगत को यही कहा कि भाई मैं तुमसे यही कहता हूं कि जीते जी मर कर देख लो, जीते जी जो करना है कर लो बाद में कुछ नहीं होने वाला ,मौत के बाद सब कुछ खत्म हो जाएगा जिसने जीते जी जान लिया वही महत्वपूर्ण है बाकी सब तो कहीं-कहाई बातें हैं इसलिए तो मैं कहता हूं जीते जी मर जाओ ताकि तुम्हें मरते वक्त किसी भी तरह की कोई तकलीफ ना हो क्योंकि जब कोई भी मरता है तो उसे तकलीफ होती है क्योंकि उसने जीते जी मर कर नहीं देखा होता तो रूह जब पैरों के तलो से ऊपर उठती है तो बहुत तकलीफ होती है मैं इस अनुभव से बहुत अच्छी तरह से जानकर हूं इसलिए तो तुम्हें कहता हूं कि भजन बंदगी करो । गुरु प्यारी साध संगत जी बाबा जी भी अपने सत्संग में यही फरमाते हैं कि अगर जीते जी कुछ नहीं किया तो मरने के बाद आपको किसी ने m.a, b.a की डिग्री नहीं दे देनी जो करेगा वही पाएगा बाकी सब तो कही कहाई बातें हैं लेकिन हम तो पड़ी पढ़ाई बातों में आ जाते हैं और कहने लग जाते हैं कि हम में से किसी परिवार के 1 सदस्यों को भजन बंदगी पर लगा देते हैं बाकी सब अपना काम करते हैं तो भाई जो करेगा वही पायेगा जो नहीं कहे करेगा वह यही गोते खाता रहेगा जैसे कि बाबा जी ने अपने हाल ही के सत्संग में भी फरमाया की भाई जितनी मर्जी सेवा कर लो जितने मर्जी सत्संग सुन लो कुछ नहीं होने वाला जो कुछ भी आपको मिलेगा आपकी भजन बंदगी के जरिए मिलेगा जो भी आपको मिलेगा आपकी करने का मिलेगा और यहां पर आपने उदाहरण दें कि जैसे एक छोटा बच्चा है वह अपने मास्टर की बहुत इज्जत करता है रोज सुबह जाकर उनके पैर छूता है लेकिन वह पढ़ाई नहीं करता तो क्या फायदा हुआ , हमारी हालत भी ऐसी ही है इसलिए हमें करनी में लगना है और हमें जो कुछ भी मिलेगा अपने अंदर से ही मिलेगा । और अंत में आप जी ने यही फरमाया कि हमें उसकी भक्ति में लगना है अपने बर्तन को साफ रखना है और उसके भाने में रहकर ,उसके हुक्म में रहकर उसकी भक्ति करनी है ।

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