15/02/2020 डेरा ब्यास सत्संग । राधा स्वामी जी । ज़रूर सुने

गुरु प्यारी साध संगत जी आज डेरा ब्यास में 45 मिनट तक सत्संग फरमाया गया पहली पातशाही गुरु नानक देव जी की वाणी पर सत्संग फरमाया गया शुरुआत में आप जी ने फरमाया की पहली पतशाई हमें समझाने की कोशिश कर रहे हैं हमें संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि हमें उस कुल मालिक की भजन बंदगी में लगना है कैसे नाम की कमाई करनी है क्यों करनी है हमें समझाते हैं आप जी कहते हैं कि संसार में सब कुछ नाशवान है कोई भी चीज स्थिर नहीं है माया ने इस संसार में सभी को जकड़ रखा है और हम इसमें ही उलझते रहते हैं हमें सत्य की कोई खबर ही नहीं कि हम कहां से आए हैं और कहां जाना है हम किसकी अंश है आप जी कहते हैं आत्मा जो उस कुल मालिक परमात्मा की अंश है यह इस संसार में भटक गई है मन ने इसे भटका दिया है मन माया रूपी है मन इसके साथ जुड़ गया है जिसके कारण परमात्मा रूपी अंश परमात्मा रूपी आत्मा इस संसार में भटक रही है केवल संत सतगुरु है जो हमें इस माया रुपी संसार से उठाकर उस कुल मालिक की भजन बंदगी में लगा सकते हैं हमें सच्चा रास्ता दिखा सकते हैं नहीं तो हम यही भटकते रहेंगे हमारा आना जाना लगा रहेगा गुरु के बिना यहां से कोई भी छूट नहीं सकता आप जी ने फरमाया कि सतगुरु कहते हैं कि वह मालिक अजुनी है वह जन्म मरण में नहीं आता वह एक ओंकार है सतनाम है सतनाम रूपी समुंदर है और उस सतनाम रूपी समुंदर की धुन हमारे अंदर निरंतर चल रही है लेकिन माया का शोर इतना है कि हमें वह सुनाई ही नहीं देती हम सुन ही नहीं पाते क्योंकि हमारी दौड़ बाहर की तरफ लगी हुई है हम उस नाम रूपी धन को सुन ही नहीं पाते तो इसलिए आप जी समझाते हैं कि हमें पहले मन को बाहर से समेट कर इकट्ठा करना है और अंदर की यात्रा शुरू करनी है जैसे-जैसे मन निर्मल होता जाएगा वह सतनाम रूपी धुन जो मालिक के घर से आ रही है सुनने लग जाएगी लेकिन उसको सुनने की कला सतगुरु ही बता सकता है जो उस धुन शब्द का भेदी हो अन्यथा अंदर बहुत सारी आवाजें हैं हमें कैसे समझ में आएगा कि कौन सी धुन है कौन सी धुन मालिक के घर से आ रही है तो इस अवस्था में सतगुरु ही हमारी सहायता कर सकता है एक पूर्ण संत महात्मा ही हमें बता सकता है हमें इस जन्म मरण के चक्कर से पार लेकर जा सकता है उसके बाद आप जी ने फरमाया कि सभी संत महात्मा मालिक की भजन बंदगी करने के लिए कहते हैं उनका संदेश एक ही है तरीका अलग हो सकता है लेकिन उनका संदेश एक ही है आप जी कहते हैं कि बाबा जी भी अक्सर अपने सत्संगओं में फरमाते हैं कि हमें एक की ही भक्ति करनी है हमें उस कुल मालिक से जुड़ना है हमें रिश्ता बनाना है हमें कोई कार्रवाई नहीं डालनी हमें उससे प्रेम और प्यार का रिश्ता बनाना है लेकिन हम तो बड़ी आसानी से कह देते हैं हमारे पास वक्त नहीं है हमें यह काम है हमें समय नहीं मिल पाता भाई यह सब ना करने के बहाने हैं आप जी कहते हैं कि हमें अंत समय पता चलता है कि जो हमने अपने जीवन में किया वह सब व्यर्थ था सत्य तो कुछ और ही है इसलिए हमें संत महात्मा समझाने की कोशिश करते हैं कि भाई मालिक की भजन बंदगी में लगो नाम की कमाई करो शब्द की कमाई करो ।

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