गुरु प्यारी साध संगत जी यह साखी एक 14 साल की लड़की की है जिसे बाबाजी पर बहुत विश्वास था भरोसा था और वह लड़की जब भी घर से कहीं बाहर जाती तो बाबा जी का प्रसाद हमेशा अपने साथ रखती इन बातों को देखकर उसके घर वाले भी बहुत खुश होते थे कि हमारी बच्ची बचपन से ही इस रास्ते पर चलने लग गई साध संगत जी वह एक सत्संगी परिवार था और वह लड़की स्कूल से होकर ट्यूशन क्लास लेने जाती थी और जहां पर वह ट्यूशन क्लास लेने जाती थी उनका घर उनके मोहल्ले से थोड़ा दूर था तो अक्सर उसे थोड़ा सा अंधेरा हो जाता और 1 दिन उसे स्कूल से बहुत ज्यादा काम मिला हुआ था जिसकी वजह से उसे ट्यूशन पर बहुत देर तक बैठना पड़ा और उसके साथ वाले बच्चे अपने घर जा चुके थे तो जब उसे छुट्टी मिली तो उसने देखा कि बहुत अंधेरा है वह अक्सर ट्यूशन पर दूसरे बच्चों के साथ जाती थी जिसे उसे साथ भी मिल जाता था और उनके साथ ही घर वापस आती थी तो उस दिन ऐसा नहीं हुआ साध संगत जी आप तो जानते ही हैं कि कुछ देर पहले बच्चों को उठाने का काम कुछ लोगों ने शुरू किया था बहुत सारे बच्चे उठाएं भी गए थे तो ऐसा ही इस बच्ची के साथ भी होने जा रहा था कुछ लोगों की नजर इस बच्ची पर थी कि कब यह ट्यूशन से घर जाए और हम इसे उठा ले जब वह घर जाने लगी तो उन्होंने तैयारी कर रखी थी और जब उसे वह पकड़ने जा रहे थे तो उन्होंने देखा कि वह बच्ची एक सरदार जी का हाथ पकड़कर चल रही है और वह सरदार जी लंबी दाढ़ी वाले हैं और वह कोई इंसान नहीं लग रहे थे उनके इर्द-गिर्द एक अजीब सी रोशनी थी यह बातें कुछ लोगों से सुनने को मिली और वह बच्ची अपने घर ठीक-ठाक पहुंच गई गुरु प्यारी साध संगत जी कई बार हम यह समझ लेते हैं कि हमारी मुश्किल केवल हमें ही हल करनी है लेकिन हम यह नहीं जान पाते कि हमारे साथ हमारे सतगुरु खड़े हैं जो कि हर पल हमें देख रहे हैं कि हम किन परिस्थितियों से गुजर रहे हैं वह हर पल हमारे साथ हैं हमारी रक्षा करते हैं लेकिन हम डोल जाते हैं हमारा मन डोल जाता है विश्वास की कमी केवल और केवल हमारे अंदर ही है सतगुरु की तरफ से किसी तरह की कोई भी कमी नहीं है वह तो हर पल हमारे साथ है हमारे अंग संग है
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