बाबा जी ने बताया जब दुख आए तो क्या करना चाहिए । ज़रूर सुने

जयमल सिंह की ओर से बरखुरदर बाबू सावन सिंह को खुशी और दया मेहर पहुंचे हर वक्त दया मेहर पहुंचे बरखुरदर बाबूजी एक रस्सी के बंडल में बंधे हुए 20 मूडो का पार्सल स्टेशन से हमारे पास आ गया है तुमने इतनी तकलीफ क्यों की आगे तुम्हारी तरफ से किसी चीज की कोई कमी थी आगे भी तुम ही सेवा करते रहे हो आगे इससे तुम्हारा खत आया था मगर उसका जवाब इसलिए नहीं लिखा था कि तुम्हारे पुख्ता पुख्ता मुकाम की खबर नहीं थी कि किस जगह तुम्हारा मुकाम है अब मालूम हो गया कि तुम को मरी में ब्रेक मास्टर के दफ्तर में काम करते हो अब जवाब भेजा जाएगा और किसी तरह का अंदेशा फिक्र नहीं करना भजन बंदगी हर वकत जब भी फुर्सत हो करते रहना और कार सरकार में रहना मालिक खुद करने वाले हैं अनूप सिंह आया था चार-पांच रोज रहकर इतवार का सत्संग सुनकर चला गया था और बसंत सिंह को अमृतसर में मिल गया था हम तो उस वक्त छावनी अंबाला को गए हुए थे और अनूप सिंह अमृतसर को गया था और कहता था कि मैं बरखुरदर बसंत सिंह से मिल कर जाऊंगा और घर की खबर बताता था हर तरह घर में खैर आफियत है और तमाम बस राजी खुशी हैं बीबी रखो कि राधा स्वामी कबूल हो और सुंदर सिंह नंबरदार धालीवाल की और से राधास्वामी कबूल हो और हाल यह है कि आज तक इट वास्ते भट्ठे के 18000 किस्त बनकर तैयार हो गए हैं इसी तरह रोज-रोज तैयारी होने वाली है यकीन है कि 1 माह तक भट्ठा तैयार हो जाएगा , दूसरे खत में फिर जो हाल होगा लिखा जावेगा और हर तरह खैरियत है ।

यह चिट्ठी आप जी ने मार्च 1897 को लिखी थी

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