एक सत्संगी का मरकर जिंदा होना । एक सच्ची साखी । ज़रूर सुने जी

साध संगत जी यह साखी एक सत्संगी की है जोकि अक्सर सत्संग सुनने जाया करता संगत की सेवा में लीन रहता और अपना समय निकालकर संगत की सेवा किया करता लेकिन कुछ देर बाद उसकी शादी हो गई वह घरेलू काम काजो में व्यस्त हो गया उसे सेवा करने के लिए समय नहीं मिल पाता वह घर के कामों में ही खोया रहता, 1 दिन क्या हुआ कि वह बहुत देर बाद सत्संग में गया एक सत्संग करता थे जिनका उस सत्संगी से अच्छा लगाओ था परमार्थी प्रेम था जब उन्होंने उसे देखा तो कहा कि भाई इतनी देर बाद आए हो कहां थे तो सत्संगी ने कहा की साहब जी दिल तो मेरा भी बहुत करता है कि मैं संगत में जाऊं संगत की सेवा करूं सत्संग सुनूं लेकिन मैं क्या करूं घर में काम ही इतने होते हैं और मेरी घरवाली मुझे आने नहीं देती तो उस समय सत्संग करता जी ने उसकी सारी बातें सुनी और उसके बाद उन्होंने कहा कि आज रात घर जाकर भजन बंदगी पर बैठ जाना तुम्हारा जवाब उसी में मिल जाएगा तो उसने ऐसा ही किया वह घर जाकर भजन बंदगी में बैठ गया काफी समय हो गया था रात हो गई थी वह अंदर चला गया था उसकी रू ऊपर चढ़ गई थी जब सुबह हुई तो उसकी पत्नी ने उठकर देखा कि यह तो मर गए हैं साध संगत जी अक्सर ऐसा होता है जब हमारी रूह ऊपर चढ़ जाती है तो हमें हल्की सी सांस महसूस होती है लेकिन कुछ देर बाद वह भी पता नहीं चलता ऐसा लगता है कि जैसे कि आदमी मर गया हो उसकी सांसे ही बंद हो गई हो, तो उसकी पत्नी को भी ऐसा ही लगा तो उसने देखा कि यह तो मर गए हैं तो उसने सोचा कि सुबह भी होने वाली है सब को बताना पड़ेगा तो उसने जल्दी से घर में जो खाना था वह खा लिया क्योंकि वह सोच रही थी कि दिन भर भूखे रहना पड़ेगा और भूखे पेट तो रोया भी नहीं जाता यह सब उसका पति बैठा देख रहा था और जो जो वह कर रही थी वह सब देख रहा था तो जब सुबह हुई तो उसने देखा कि अब यह लोगों को बुलाना शुरू करेगी तो उसने मालिक का ध्यान किया सतगुरु को याद किया वह वापस नीचे आ गया वह सारा का सारा सच जान चुका था कि यह दुनियादारी झूठी है उसने कहा कि पहले तो मैं सुनता था कि ये दुनियादारी झूठी है अब देख भी लिया लेकिन उसने अपनी पत्नी को कुछ नहीं कहा उसने जान लिया था कि यह सब तो ऐसे ही रहने वाला है मुझे अपना रास्ता साफ करना है मालिक से मिलाप करना है साध संगत जी उसके बाद उसने मालिक की भजन बंदगी की और मालिक को प्यारा हो गया ।

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