गुरु प्यारी साध संगत जी राधा स्वामी जी साध संगत जी एक अंधा व्यक्ति डेरा ब्यास में आया उसकी वहां पर कुछ सेवादारों से मुलाकात हुई और एक सेवादार ने उस व्यक्ति को पंडाल में ले जाकर बैठा दिया उसने बाबा जी का पूरा सत्संग सुना और सत्संग सुनने के बाद वह उस सेवादार को कहने लगा कि मुझे आपके गुरु से मिलना है कृपया आप अपने गुरु से मुझे मिलाएं उस सेवादार ने कहा कि आज संगत बहुत ज्यादा है आज आपका उनसे मिलना नहीं हो पाएगा आप ऐसा करें आज रात यहीं रुक जाए कल का सत्संग सुनकर ही जाएं आज रात आप मेरे पास ही रह ले उस अंधे व्यक्ति ने वैसा ही किया अगले दिन फिर वह सत्संग सुनने पंडाल में गया उस सेवादार ने उस अंधे व्यक्ति को पंडाल के साइड में बिठा दिया उसने वह सत्संग भी महाराज जी का सुना और उस सत्संग में भी महाराज जी ने नामदान की बात ही बताई नामदान की अहमियत बताई तो उसके अंदर तड़प लग गई कि मुझे भी नाम दान लेना है वह सत्संग सुनते सुनते रो रहा था उसकी आंखों में से आंसू टपक रहे थे तो उससे रहा नहीं गया तो वह नामदान लेने के लिए लाइन में लग गया तो सेवादारों ने उसे निकाल दिया और कहा कि आप की आंखों की ज्योति नहीं है इसलिए आपको नामदान नहीं दिया जा सकता उस अंधे व्यक्ति ने कहा कि अगर ऐसा है तो मुझे अपने गुरु जी से मिलाए मुझे उनसे बात करनी है बाबा जी के सामने पेश किया गया तो महाराज जी ने भी यही बात कही तो उस अंधे व्यक्ति ने कहा कि फिर ऐसा करो जहां पर मुझे नामदान मिल सकता है वहां पर मुझे भेज दो महाराज जी ने उसकी यह बात सुनकर उन सेवादारों को कहा कि भाई इसे पीछे ले जाकर बैठा दो वैसा ही किया गया उसे पीछे जाकर बैठा दिया गया जब बाबा जी ने सभी संगत को नाम दान दे दिया तो आखिर में उसे कहा भाई उठ खड़ा हो वह खड़ा हो गया और उसे कहा कि मेरी तरफ देख यह चेहरा तेरे काम आएगा जब उसने आंख उठा कर देखी तो उसकी आंखों की ज्योति आ गई उसने महाराज जी को देखा महाराज जी ने कुछ वक्त के लिए उसे आंखों की जोत दे दी और साध संगत जी जो गुरु बाहर की जोत दे सकता है अंदरूनी ज्योति भी दे सकता है कुछ अभ्यास करने के बाद वह अंधा व्यक्ति ज्ञान को प्राप्त हुआ उसकी अंदर की आंख भी खुल गई उसने सब जान लिया तो जब वह एक बार महाराज जी का सत्संग सुने दोबारा डेरा ब्यास में आया तो सत्संग सुनते सुनते बीच में खड़ा हो गया और कहने लगा महाराज जी मुझे आपसे अर्जी करनी है कृपया मेरी बात सुने महाराज जी ने कहा कि भाई इतनी जल्दी क्या है बैठ जा लेकिन कुछ देर बाद वह फिर खड़ा हो गया और कहने लगा महाराज जी रहा नहीं जाता मुझे बात करनी है महाराज जी ने कहा कि ले भाई चला ले जो तुझे बंदूक चलानी है सारी संगत को कहने लगा मेरे भाई बहनों यह कोई इंसान नहीं है यह पूर्ण संत गुरु ,रब है इंसान मत समजना मैं आपको अपनी कहानी बताता हूं मैं पिछले जन्म में एक चील था जोकि डेरा ब्यास के पास एक वृक्ष पर रहता था और डेरा ब्यास के कुछ सेवादार वृक्ष के नीचे लंगर खा कर चले गए और टुकड़े मुझे मिल गए और मैंने वह टुकड़े खाए, खाने के बाद उड़ारी भरी तो एक रेलवे लाइन पर एक कुत्ता जो कि घायल पड़ा हुआ था तो मैंने देखा कि मुझे मास मिल गया क्योंकि हम चील जात को मास बहुत पसंद होता है तो मैंने सबसे पहले उसकी आंखें खाई इसी के कारण मुझे इस जन्म में आंखों की ज्योति नहीं मिली लेकिन मेरे सतगुरु ने मुझे सब दे दिया जो मुझे चाहिए था मेरे वीर भाइयों यह कोई आम इंसान नहीं यह रब है इनको तुम इंसान मत समझना गुरु प्यारी साध संगत जी हम आपके लिए ऐसी ही रूहानी सखियां लेकर आते हैं ऐसी ही साखियां रोजाना सुनने के लिए हमारे चैनल संत वचन को सब्सक्राइब करें ।राधा स्वामी जी।
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