RSSB Sakhi । सच्ची आप बीती । बाबा जी ने की इस किसान के खेतों की रखवाली । ज़रूर सुने

 गुरु प्यारी साध संगत जी यह एक सत्संगी किसान की सच्ची आप बीती है साध संगत जी एक किसान जोकि एक सत्संगी परिवार से था और पूरे परिवार को बाबा जी से नाम दान मिला हुआ था वह अक्सर बाबा जी का भंडारा और सत्संग सुनने जाया करते और डेरा ब्यास में सेवा किया करते उनकी शरदा बाबा जी के प्रति अपार थी लेकिन वह जो किसान था उसे भी बाबा जी से नाम दान मिला हुआ था लेकिन वह अपने खेतों की रखवाली के कारण कहीं आ जा नहीं सकता था क्योंकि उसने अपने खेतों में बहुत सारा अनाज और सब्जियां बीज रखी थी जिस की रखवाली उसको दिन रात वहीं रहकर करनी पड़ती थी क्योंकि आसपास के लोग उसे बिना बताए उसके खेतों से सब्जियां ले जाते और उसे पता भी नहीं चलता तो इसी वजह के कारण उसने अपने खेतों के पास एक छोटा सा कमरा बना रखा था और वह वहीं रहता था वही सोता था ताकि वह अपने खेतों की रखवाली कर सके और कोई उसके खेतों में जाकर सब्जी अथवा अनाज ना ले सके उसे ही वहां रहकर अपने खेतों की रखवाली करनी पड़ती थी तो उसे सेवा पर जाने का और सत्संग पर जाने का मौका नहीं मिल पाता था और वह छोड़ कर जा भी नहीं सकता था क्योंकि इसी के आधार पर वह अपने परिवार का पालन पोषण करता था तो 1 दिन गुरु घर से सेवा का हुक्म आया तो उस किसान की पत्नी उन्हें कहती है कि आप भी हमारे साथ सेवा पर चले लेकिन उसने इंकार कर दिया और कहा कि अगर मैं सेवा पर चल गया तो पीछे खेतों की रखवाली कौन करेगा सभी यहां आकर सब्जियां ले जाएंगे और जानवर इसे खराब कर जाएंगे नहीं मैं नहीं जा सकता उनकी पत्नी ने कहा कि आप यह बात बाबाजी पर छोड़ दो आप हमारे साथ सेवा पर चलो उनकी पत्नी के बार बार कहने पर उसने यह बात मान ली और अपने खेतों की परवाह किए बिना वह सेवा पर चला गया बड़े ही प्रेम प्यार से उसने गुरु घर की सेवा की उसे वहां भी खेतों में ही सेवा मिल गई सेवा मंड में गई थी उन्होंने बड़े ही प्रेम प्यार से संगत की सेवा की गुरु घर की सेवा की और जब वह शाम को वापस आए और जब वह वापस आए तो उन्हें कुछ लोगों से पता चला की कुछ लोग उनके खेतों में जाने की कोशिश कर रहे थे सब्जियां लेने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाए और पूछने पर यह पता लगा कि वह एक ही बात कह रहे हैं कि वहां पर एक सरदार जी हैं जो किसी को भी खेत के अंदर आने नहीं दे रहे उनके डर की वजह से कोई खेत में जा ही नहीं पाया जब यह बात उन दोनों को पता लगे तो उनके बाबा जी की फोटो के सामने हाथ जोड़ गए और उनका बाबा जी के प्रति विश्वास और भी गहरा हो गया गुरु प्यारी साध संगत जी जब हम अपने काम छोड़कर गुरु घर में सेवा के लिए जाते हैं तो हमें यह लगता है कि हमारे पीछे कामकाज कौन देखेगा हमारा नुकसान हो जाएगा लेकिन सतगुरु जब अपने शिष्य की जिम्मेवारी लेते हैं तो उस पर आने वाली हर एक मुसीबत में उसके साथ खड़े होते हैं अपने शिष्य पर किसी भी तरह की मुसीबत नहीं आने देते हर पल उसकी सहायता करते हैं जैसे कि बाबा जी भी अक्सर अपने सत्संग में फरमाते हैं कि आप मेरा काम करो मैं आपके काम करूंगा आप नाम की कमाई करो इस शब्द की कमाई करो वह कुल मालिक आपका परमार्थ भी बनाएगा और आपका स्वार्थ भी बनाएगा ।

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