जब बाबा जी का बेटा बाबा जी से मिलने बाबा जी की कोठी में आया और सेवादारों ने उसे रोक दिया । ज़रूर सुने

गुरु प्यारी साध संगत जी यह बात महाराज जी के समय की है साध संगत जी महाराज जी अपनी कोठी में छत पर बैठकर धूप का आनंद ले रहे थे साध संगत जी जैसे कि आप जानते ही हैं की कोठी में कितने सेवादार रहते हैं जो कि महाराज जी की सेवा के लिए तैयार रहते हैं तो ऐसे ही जब बाबा जी का बेटा बाबा जी से मिलने कोठी में आया तो कुछ सेवादारों ने उनसे पूछे बगैर ही उन्हें रोक दिया और कहा कि आप कहां जा रहे हो आपको किससे मिलना है तो वह उनसे सवाल पूछने लग गए इतनी बातों में ही महाराज जी ने ऊपर से देख लिया था कि बेटा आया है तो जब उसने कहा की मैं महाराज जी का बड़ा बेटा हूं तू जो वहां पर सेवादार थे वह उसको कहने लग गए कि अगर आप महाराज जी के बेटे हो तो फिर हम कौन हैं हम भी तो उन्हीं के बच्चे हैं ऐसी बातें उनसे करने लग गए तो महाराज जी सीढ़ियों से नीचे आ रहे थे महाराज जी ने सब सुन लिया था और महाराज जी हंसने लग गए उन्होंने अपने बेटे का हाथ पकड़कर उसे अंदर ले गए और जो वहां पर सेवादार थे महाराज जी ने उनकी तरफ देखा और उन सभी सेवादारों को अपने सीने से लगाया और कहा कि हां तुम भी मेरे बेटे ही हो तो साध संगत जी यह वाक्य उस समय हुआ था तो साध संगत जी हम कहने को तो बाबाजी के बच्चे हैं लेकिन हम उनके हुक्म की पालना नहीं करते उनका कहना नहीं मानते कहने को हम बहुत कुछ कह देते हैं लेकिन अगर हम उनका हुक्म ही नहीं मानते तो फिर कहने को क्या करना उनका एक ही हुक्म है नाम की कमाई शब्द की कमाई ।

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