कैसे ! सतगुरु ने लोगों को महामारी से बचाया था । क्या हमें अब भी वैसे ही करना चाहिए । ज़रूर सुने

गुरु प्यारी साध संगत जी यह बात उस समय की है जब दिल्ली में चेचक नाम का रोग फैला था तब उस समय इतिहास गवाह है कि कैसे श्री गुरु हरकृष्ण साहिब ने इसे अपने चमत्कार से खत्म किया था कैसे सतगुरु ने अपनी छड़ी के परोपकार से और अपने दर्शनों से लोगों में से इस बीमारी को दूर किया था कैसे सतगुरु ने उस समय लोगों की संभाल की थी साध संगत जी पहले हमारे लिए यह बात जानना बहुत जरूरी है की ऐसी महामारी हर 100 साल के बाद आती है और करोड़ों लोगों की जान ले जाती है तो जब उस समय यह रोग लोगों में फैला था तब तो मेडिकल साइंस भी इतनी विकसित नहीं हुई थी इतना उपचार नहीं था इतनी दवाइयां भी नहीं बनी थी तब सतगुरु ने अपनी मेहर से अपनी कृपा से लोगों की संभाल की थी और इस रोग को खत्म किया था उस समय उना शहर में एक सिख परिवार रहता था जोकि दिन रात बानी पड़ता और मालिक की याद में बैठता और उनके एक पड़ोसी थे जिनका नाम शर्मा जी था और जब शर्मा जी उनके घर गए तो उन्होंने कहा की सरदार जी सारा संसार इतना डरा हुआ है लेकिन मुझे आपके घर में किसी तरह का कोई डर नहीं दिखता जैसे कि आपको कोई फर्क ही नहीं पड़ता ऐसा कैसे हो सकता है कृपया इसके बारे में मुझे भी बताएं क्योंकि मेरे घर में तो सभी डरे हुए हैं कोई भी अपने घर से बाहर नहीं निकल रहा लोगों के अंदर बहुत ज्यादा डर बन गया है लेकिन आपको देखकर ऐसा नहीं लगता तब वह जो सरदार केयर सिंह जी थे उन्होंने शर्मा जी से कहा कि मैं आपको बताता हूं कि हमें क्यों डर नहीं लगता क्योंकि हमारे घर में वाणी का पाठ होता है सुबह-शाम बानी पढ़ते हैं सुनते हैं और वाहेगुरु का सिमरन करते हैं और उसी के आगे अरदास करते हैं इसलिए हमें किसी तरह का कोई डर नहीं है क्योंकि जिस घर में वाहेगुरु है उसे किसी बीमारी या फिर किसी महामारी से डरने की क्या जरूरत है वाहेगुरु खुद उनकी संभाल करता है हर समय हमारे साथ हैं इसलिए हमें डर नहीं लगता हम बिना किसी डर के जीवन व्यतीत करते हैं और डर हमें इसलिए लगता है क्योंकि हम कमजोर बन जाते हैं जब हम पर किसी तरह की मुसीबत आती है किसी तरह की बीमारी हम पर आती है मन तो हमारा पहले से ही कमजोर है और ऐसी बातें हमें और भी कमजोर बना देती है क्योंकि हमारा वाहेगुरु से मिलाप नहीं हुआ होता हमारा उसे रिश्ता नहीं बना हुआ होता वह हमारा मूल है हम उसके बिना कुछ भी नहीं वह ही हमारी ताकत है लेकिन हम बाहर की भागदौड़ में ही रहते हैं हम अपने असल को भूल ही जाते हैं इसलिए जब बाहर कोई मुसीबत हम पर आती है तो हम डर जाते हैं घबरा जाते हैं लेकिन जो दिन-रात बानी पढ़ते हैं अपने सतगुरु के हुक्म में रहते हैं वाहेगुरु उन पर मेहरबान होता है फिर उसे किसी बीमारी से या किसी दुर्घटना से डरने की कोई जरूरत नहीं क्योंकि फिर हमारी संभाल वाहेगुरु खुद करता है

इस कारण आप देख रहे हैं कि मेरे परिवार में सभी परिवार मेंबर कितने खुश हैं जैसे कि उन्हें कोई फर्क ही नहीं पड़ता और उसके बाद उन्होंने कहा कि आप एक ब्राहमण परिवार से हो तो आप अपने धर्म के अनुसार ओम का जाप कर सकते हैं बात एक ही है मालिक एक ही है हमें डरने की जरूरत नहीं है अगर हम डरते हैं तो इस बीमारी का डर और उसकी ताकत को दोगुना कर देता है लेकिन हमें डरने की जरूरत नहीं है तो जब शर्मा जी ने यह बात सुनी तो वह भी दंग रह गए आश्चर्यचकित हुए और उन्होंने भी उनकी कही गई बातों पर अमल किया और उन्होंने खुद को भी भेय से मुक्त किया और अपने परिवार वालों को भी इस बीमारी के भें से मुक्त किया और मालिक की याद में समय देना शुरू किया और तब कुछ दिनों बाद यह पता चलता है कि जिस गांव में वह 2 परिवार थे केवल वही इस बीमारी से बच पाए बाकी सब गांव वालों को उस महामारी ने जकड़ लिया था वह परिवार आज भी दिल्ली में मौजूद है साध संगत जी हमें भी डरने की कोई जरूरत नहीं है हमें भी सिमरन करना है हम जिस जिस धर्म से जुड़े हुए हैं उसी के अनुसार हमें मालिक का सिमरन करना है मालिक एक है उसके नाम अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन वह एक ही है चाहे हम उसे वाहेगुरु कहे चाहे अल्लाह कहें या फिर हम उसे ओम कहे बात एक ही है तो इसीलिए हमें भी किसी तरह की अफवाहों से डरने की जरूरत नहीं है वाहेगुरु पर भरोसा रखना है वाहेगुरु का सिमरन करना है बाकी सब उस पर छोड़ देना है , क्योंकि जिसने सब मालिक पर छोड़ दिया फिर उसे किसी चीज की फिक्र करने की जरूरत नहीं है और जब तक हम चिंता करते रहेंगे किसी बात को लेकर डरते रहेंगे उस समय मालिक भी हमें देखता है और वह हमसे यह कहने की कोशिश करता है कि अपना डर मुझ पर छोड़ दो लेकिन हम फिर भी चिंता करते रहते हैं डरते रहते हैं वह ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमें विश्वास नहीं है हमारे अंदर विश्वास की कमी है विश्वास की कमी के कारण ही हमें डर रहता है लेकिन जिन्होंने सिमरन किया है मालिक की याद में जो लोग बैठते हैं उन्हें किसी तरह का कोई डर नहीं होता किसी तरह का कोई नहीं होता वह अपने आसपास सफाई रखते हैं मालिक का सिमरन करते हैं और दूसरों को भी वैसा ही करने के लिए कहते हैं दूसरों को भी वही प्रेरणा देते हैं लेकिन हममें से कुछ ऐसे भी हैं जो डरते रहते हैं क्योंकि उन्होंने पहले मालिक से रिश्ता नहीं बनाया होता और जब ऊपर मुसीबत आती है तब डर जाते हैं तब सहारा ढूंढते हैं लेकिन उस समय हमें कमी महसूस होती है कि हमें सहारा चाहिए हम मुसीबतों का सामना अकेले नहीं कर सकते हमें अंदर से ताकत चाहिए मालिक की कृपा चाहिए और जिस पर मालिक की कृपा होती है जिस पर मालिक का हाथ होता है उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता क्योंकि उस पर मालिक खुद मेहरबान होता है उस पर उसकी कृपा रहती है उसे कोई बीमारी नहीं सकती उसे कोई रोग नहीं पकड़ सकता क्योंकि वह दिन रात मालिक के सिमरन में रहता है उसकी जुबान पर मालिक का नाम रहता है और ऐसे जीवो को मालिक अपनी गोद में जगह देता है उनकी संभाल करता है उन्हें हर तरह की मुसीबत से बचाता है तो हमें भी उसी के नाम का जाप करना है उसी के नाम की कमाई करनी है खुद को भी बचाना है और दूसरों को भी बचाना है खुद भी सिमरन करना है और दूसरों को भी यही प्रेरणा देनी है ।

Post a Comment

0 Comments