गुरु प्यारी साध संगत जी यह साखी महाराज जगत बहादुर जी के समय की है साध संगत जी एक सत्संगी ने बताया था की एक बार किसी सत्संगी ने महाराज जी से पूछा कि महाराज जी लड़की की शादी करनी है कृपया आप हमें कोई शुभ मुहूर्त बताएं साध संगत जी आप तो जानते ही हैं कि तब इतनी संगत नहीं हुआ करती थी और महाराज जी से बात हो जाया करती थी कोई दिक्कत या परेशानी नहीं होती थी जो भी सत्संगी होता था वह महाराज जी से आराम से बात कर लेता था तो ऐसे ही एक सत्संगी ने महाराज जी के आगे अर्ज की कि महाराज जी लड़की की शादी है कृपया हमें कोई शुभ मुहूर्त बताएं तो वहां पर जो संगत मौजूद थी वह भी सुन रही थी तो महाराज जी ने कहा कि जाओ जाकर जंत्री लेकर आओ तो उन्होंने ऐसा ही किया वह लेकर महाराज जी के पास आ गए तब महाराज जी उसे पढ़ने लग गए और वहां पर जो संगत मौजूद थी वह सब देख रही थी उस समय महाराज जी ने अपना भी कोई काम करना था तो महाराज जी उसे पढ़ने लग गए वहां पर मौजूद संगत में से एक सत्संगी अभ्यासी उठकर महाराज जी से पूछने लग गया कि महाराज जी आप तो हमें इन ब्रह्मो से निकालते हो अब आप ही इसे देखने लग गए तो महाराज जी मुस्कुरा पड़े महाराज जी ने कहा कि मैं देख रहा था की सबसे बुरा समय इसमें कौन सा बताया गया है मैं वही ढूंढ रहा था ताकि उसी समय में मैं कोई अपना काम कर सकूं तो वहां पर मौजूद संगत आश्चर्यचकित रह गई कि महाराज जी यह क्या कह रहे हैं तो उस सत्संगी ने कहा कि महाराज जी हम समझे नहीं आप क्या कहना चाहते हैं तो महाराज जी ने कहा कि भाई आप लोग शुभ मुहूर्त देखकर काम करते हो मैं कोई अशुभ मुहूर्त ढूंढ रहा था ताकि उसमें कोई कार्य किया जाए और आपका जो भ्रम है उसे दूर किया जाए उस समय आप जी ने संगत को कहा की सत्संग में कितना समझाया जाता है कि हमें इन बातों में नहीं पड़ना लेकिन हम फिर भी इन सब बातों में पड़ जाते हैं भाई सभी समय उस मालिक का है कोई समय अशुभ नहीं है कोई समय शुभ नहीं है सभी समय उस कुल मालिक का है आप ऐसी बातें क्यों करते हो उसने कोई भी बुरा समय नहीं बनाया उसने सब अच्छा ही बनाया है यह तो हम बना लेते हैं कि यह समय अच्छा नहीं है वह समय अच्छा नहीं है जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है मालिक ने सब कुछ अच्छा ही बनाया है हमें इन सब बातों से ऊपर उठकर उस कुल मालिक से जुड़ना है और उस एक की भक्ति करनी है ।
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