ये वह चिट्ठी है जिसमें बाबा जी ने महाराज जी से अंदर की बातें की थीं । ज़रूर सुने

बरखुर्दार बाबू सावन सिंह को जयमल सिंह का आशीर्वाद , हजूर दीनदयाल अकाल पुरुष की हर वकत दया मेहर पहुंचे चिट्ठी आपकी आई है और हाल सब मालूम हुआ है और अब कुछ दिल में संतोष हुआ है दो तार आपके आए हैं और दो चिट्टियां भी मिली हैं एक चिट्ठी एक कार्ड और एक यह चिट्ठी मैंने आपको भेजी है आपने यह नहीं लिखा कि चिट्ठी और कार्ड आपको पहुंचा है यह जरूर लिखा करो कि चिट्ठी पहुंची है या नहीं आपको कोई तकलीफ नहीं समझनी चाहिए क्योंकि दुख सुख दोनों पिछले जन्म के किए हुए हैं वह जरूर आएंगे और आपने लिखा है कि आपको बहुत तकलीफ है और ऐसा क्यों है, तो ठीक है पर देह तो दुख सुख का घर है इसमें तो दोनों ही जरूर आएंगे तो इसे अच्छा मानकर भुगत ले थोड़े दिनों के लिए ही है जो कई वर्षों तक दुख होता है वह सत्संगी को थोड़े दिनों में भुगताया जाता है तो किसी बात की चिंता ना करना, देह कपड़ा है जो कई बार बदला जाता है शब्द धुन को अभी भी हर वक्त पकड़े रखना इसमें एक तो पीड़ा की तकलीफ कम होगी और दूसरे सूरत और मन घबराहट में नहीं पड़ेंगे साथ ही दुख देने वाले जो पाप हैं वह कटते जाएंगे शब्द स्वरूप सतगुरु अंग संग है दम दम पर रक्षा कर रहे हैं जिस वक्त टांग की टूटी हुई हड्डी को जोड़कर बांध देंगे तब आप बिल्कुल मत हिलना क्योंकि उस वक्त बहुत बहुत तकलीफ होती है चाहे कितना ही दुख हो पर टांग हिलाना नहीं फिर जल्दी ही हड्डी जुड़ जाएगी धीरज वह हिम्मत रखो राजी हो जाओगे और जिस वक्त आपका दूसरा तारा आया ,11 मई की रात को 9:00 बजे मुझे मिला था उसी समय मैं अकेला ही चल पड़ा था जिस समय रात को 11:00 बजे स्टेशन जाकर तार पड़वाया तो बाबू ने कहा कि बाबू सावन सिंह कहते हैं कि मैं अब अच्छा हूं तो मैं वापस लौट आया नहीं तो डेरे से आपके पास आने के लिए चल पड़ा था अब 16 मई इतवार को भट्ठे को आग दी जाएगी भट्ठे को आग देने के 6 रोज बाद में आपकी तरफ आऊंगा करीब 24 25 मई तक आपके पास पहुंचने का इरादा है आगे जैसी भी हजूर दीनदयाल अकाल पुरुष की मौज हो रात और दिन तुम्हारी और ध्यान रहता है और हजूर दीनदयाल अकाल पुरुष के आगे अर्ज करते हैं कि आप को बख्श दें ,आगे जो मौज उनकी, पर जो कुछ करेंगे अच्छा करेंगे ,आने से पहले आपको कार्ड भेजेंगे, बीवी की राधास्वामी हरिचंद को वाहेगुरु जी की फतेह कहना और डसोंधा सिंह की ओर से वाहेगुरु जी की फतेह मालूम हो अपने हाल की चिट्ठी हर रोज भेजना आपकी चिट्ठी 13 मई को मिली जवाब जल्दी देना

यह चिट्ठी बाबा जी ने 14 मई 1897 को लिखी थी ।

Post a Comment

0 Comments