बरखुरदर बाबू सावन सिंह को श्री वाहेगुरु जी की फतेह मालूम हो और राधा स्वामी दीन दयाल की दया मेहर हर वक्त पहुंचे हाल यह है कि 2 चिट्ठियां आपकी एक ही रोज पहुंची हैं हाल सब मालूम हुआ है दिल पर खुशी आई है कि आपको हजूर दीनदयाल ने बक्श लिया है यूं तो आगे ही बक्शे हुए थे पर इसी तरह हुक्म था आप बिल्कुल तंदुरुस्त हो जाओगे " दुख की घड़ी गनीमत जानो " क्योंकि दुख सुख सब मालिक के हुक्म से आता है फिर जब हुक्म से आता है तो बुरा क्यों मनाना ? मालिक हमारे पास है हमें देखता है अगर हमारा फायदा दुख में होता है तो दुख भेजता है अगर हमारा फायदा सुख में होता है तो सुख भेजता है दोनों ही हुकम के अंदर है अब आप कोई फिकर ना करना जल्दी ही दुख कट जाएगा जिस वक्त माता के पेट में यह देह माता के रक्त और पिता के वीर्य के समीकरण से पकती है तब 3 महीने जठराग्नि के तप या गर्मी से पकती है तो यह एक करवट से भुत्त के समान पड़ा रहता है जो हड्डियां हैं यह पिता के वीर्य से बनती है हड्डियों के 1600 जोड़ हैं जब यह 3 महीने एक करवट से पड़ा रहता है तब वह पकते हैं तब वह मजबूत हड्डियां बन सकते हैं जेठरागिन का ताप निरंतर बना रहता है उस वक्त जो तकलीफ और दुख होता है उसका बयान नहीं किया जा सकता पर उस जगह एक दया भी पहुंचती है कि यह एक एक क्षण मालिक को याद करता है कि रख लो बचा लो मैं शरण शरण मेरा कोई नहीं ! पक्का भरोसा मालिक पर होता है उस नाम के प्रताप से कोई दुख नहीं पहुंचता है और जो देह है वह माता के रक्त से पककर बना है अब पेट से बाहर जब कोई हड्डी टूट जाए तो उसी तरह से पड़ा रहेगा तो जुड़ जाएगी तो कोई बात नहीं इसी जगह उतना दुख नहीं होता है भजन और सिमरन करो चाहे सूरत उखड़ जाए फिर से उसी में लगाओ भजन और सिमरन के सिवाय ऐसी कोई चीज नहीं जो कि दुख काट सके सब तरह से मालिक राजी है आप कोई फिक्र नहीं करना क्योंकि जब हड्डी टूट जाती है तो 3 महीने में जुड़कर अच्छी होती है आपकी जल्दी ही अच्छी हो जाएगी और इंट के भट्ठे का हाल 100000 इंट अच्छे तरह पक गई हैं 2 महीने में आग अच्छी ठंडी होगी कुआं खोदना शुरू हो गया है , 100000 इंट पर 350 रुपए लगे हैं तो फिर जब आपके पास आऊंगा तो लौटने पर ठेका दे दूंगा और बड़ा अच्छा पका है एक-दो निकाली थी अच्छी पकी हुई थी नंबरदार सुंदर सिंह की ओर से वाहेगुरु जी की फतेह मालूम हो आपने लिखा है कि मैंने घर पर हड्डी टूटने की खबर नहीं दी मेरी भी यही इच्छा थी कि घर पर खबर ना दी जाए तो आपने ठीक किया है जिस वक्त आप घर पर थे उस वक्त मैं पढ़ने के लिए पोथी दे आया था अभी तो महिमा सिंह वाला से कोई नहीं आया है एक बार अनूप सिंह फागुन में आया था 5 दिन रहा था और फिर अमृतसर गया था ताकि बसंत सिंह जी की खबर लेकर घर को जाए उसके बाद और कोई खबर नहीं आई बीवी की राधा स्वामी हरी राम को राम राम कहना ।
बाबा जी ने यह चिट्ठी 23 मई 1897 को लिखी थी ।
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