एक सत्संग में सतगुरु ने फरमाया था,की जिस दिन मालिक का हाथ इस लोक से उठ गया उस दिन यहां परले महा परले आ जाएगी, फिर हमें इतना समय भी नहीं मिलेगा की हम अपना बाकी का भजन सिमरन पूरा कर सकें,हमारे कर्मों का बोझ इतना ज्यादा है कि हमें भजन सिमरन को समय देना ही पड़ेगा, आप सब जानते हैं कि इस वक़्त हम लोग किस दौर से गुजर रहे हैं,,पूरी दुनिया मानो जैसे थम सी गई है,ना कोई कारोबार,ना कोई घूमना फिरना,ना पढ़ाई ,एक पंछी कि तरह पिंजरे में रहने को मजबूर हो गए हैं,ना कोई किसी के घर आ रहा है ,ना कोई किसी के घर जा रहा है।
सारा दिन घर में एक टेंशन में जी रहें हैं,की अब आगे क्या होगा।?? अब मालिक ने एक ऐसी स्थिति पर हम सबको पहुंचा दिया है कि ,हम सब मजबूर हो गए हैं,एक कैदी जैसी जिंदगी जीने को, तो हमारा अब इस दौर में क्या फर्ज़ बनता है?? बाहर सभी सत्संग घर बंद हो चुके हैं, हम पूरा परिवार रोज साथ बैठ कर घर पर ही सत्संग का माहौल बनाएं,पूरा परिवार सतसंगों का घर पर ही फायदा उठाएं, भजन सिमरन को दिन में कम से कम दो टाइम का समय दें,हम अपना टाइम पक्का कर लें,की इस समय बैठना है तो बैठना है,,हमारे पास अब बहुत खाली समय है,इसका फायदा एक सूरमा बन कर उठाना है जी,अब तो हम मालिक को हम ये बहाना भी नहीं बोल सकते की जी टाइम नहीं मिलता, मालिक ने यह समय सत्संगियों को शायद भजन सिमरन के लिए ही मुकर्रर कर दिया है, जो इस समय का फायदा उठा गया सो उठा गया,जो चूक गया सो चूक गया, अब तो मालिक ने बहाने भी नहीं सुनने, जैसे अगर कोई अपनी हक हलाल की दौलत जमा करता है,तो मां बाप बहुत खुश होते हैं, वैसे ही मालिक की दरगाह में मालिक सभी रूहों से बोले कि मेरी ये प्यारी वोह रूह है, जिसने अपने समय से भी ज्यादा भजन सिमरन की दौलत जमा की है,कोई ये ना सोचे की में सुबह भजन सिमरन तो करता हूं,ये जो अलग समय मिला है, ये है भजन सिमरन की असल कमाई, सो आज से अभी से नाम की कमाई करने का नियम और प्रण कर लें,भजन सिमरन को ज्यादा समय दें, मालिक दया मेहर के भंडार खोल देगा,इस इम्तेहान में होड़ लगानी है ....अवल आने की,आप सुरक्षित रहें,और अपने परिवार का भी ध्यान रखें, मालिक हम सब पर दया मेहर वाल हाथ हमेशा रखेगा ।
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