जो लोग अभी भी नाम सिमरन नहीं कर रहे है वो ये लीला जरूर सुने

गुरु प्यारी साध संगत जी अभी-अभी एक सत्संगी ने बताया है कि इस समय जो भी माहौल चल रहा है उसको देखते हुए कैसे समूह साध संगत अपने सतगुरु के हुक्म के अनुसार नाम सिमरन में लगी हुई है मालिक को याद कर रही है ताकि इस मुसीबत से हम सभी को छुटकारा मिल सके, अभी-अभी एक सत्संगी ने बताया है की संगत ने अपने घरों में यह नियम बना रखा है कि हम सभी परिवार वालों को इतने इतने समय नाम सिमरन में बैठना है नाम की कमाई करनी है मालिक को याद करना है और सभी घरों में नाम सिमरन चल रहा है और निरंतर चल रहा है और उन्होंने बताया की सतगुरु ने उनको दर्शन दिए हैं जब वह नाम की कमाई में लीन थे सतगुरु हाजिर हुए हैं और सतगुरु एक बड़े से छाते के नीचे खड़े हैं और संगत को सिमरन करने के लिए कह रहे हैं और जो सिमरन कर रहा है मालिक को याद कर रहा है वह उस छाते के नीचे सतगुरु के पास जा रहा है

 उसकी रखवाली मालिक खुद कर रहा है, उन्होंने बताया है कि सतगुरु का वह विराट रूप देखकर संगत निहाल हो रही है संगत नाम सिमरन में लगी हुई है, जो भी सिमरन कर रहा है वह सतगुरु के पास जा रहा है और जो नहीं कर रहे हैं सतगुरु उनको पुकार रहे हैं की इस समय नाम की कमाई करो, इस समय हमारी संभाल केवल और केवल वह मालिक ही कर सकता है उसके बिना हमारा हाथ किसी ने नहीं पकड़ना जो भी उसकी याद में सिमरन कर रहा है उसकी संभाल हो रही है सभी संगत अपने परिवारों के साथ बैठकर एक साथ मालिक को याद कर रही है मालिक का ध्यान कर रही है ऐसे समय में एक साथ मालिक को याद किया जा रहा है ताकि मालिक अपने बच्चों की पुकार सुने और उन्हें इस मुसीबत से छुटकारा दिलाए ताकि फिर से संगत सतगुरु की सेवा में लीन हो सके उन्होंने बताया है कि इस समय अगर कोई हमें इस महामारी से बचा सकता है तो वह केवल और केवल नाम सिमरन ही है अगर हमारी संभाल इस समय हो सकती है तो केवल नाम सिमरन से ही हो सकती है इसीलिए तो सतगुरु हमेशा से कहते आ रहे हैं कि भाई मालिक के साथ रिश्ता जोड़ो क्योंकि उसके बिना हमारे साथ किसी ने भी सहाई नहीं होना आप देख सकते हैं कि जिसको भी यह महामारी लग रही है उसकी डेड बॉडी तक उसके परिवार वालों को नहीं दी जा रही उसको छूने तक नहीं दिया जा रहा, यह कैसा माहौल चल रहा है जिनको हम सबसे ज्यादा प्रेम करते हैं वह भी हमसे दूर भाग रहे हैं वह भी हमारे पास आने से डर रहे हैं इसी से यह साबित हो जाता है कि यहां पर सभी रिश्ते नाते झूठे हैं आप देख सकते हैं कि अगर किसी को यह महामारी लग रही है तो उसको कैसे अलग कर दिया जाता है और उसके परिवार वाले उसके पास जाने से डर रहे हैं उसको हाथ लगाने से डर रहे हैं इसीलिए तो फरमाया जाता है कि भाई यहां पर कोई किसी का नहीं है सभी रिश्ते गर्ज़ों के हैं गर्ज खत्म हो जाती है तो रिश्ता भी खत्म हो जाता है अगर हमारे साथ कोई जाएगा तो वह केवल और केवल नाम की कमाई ही हमारे साथ जाएगी जो हमने उस मालिक की याद में समय बिताया होगा नाम सिमरन किया होगा वही हमारे साथ जाएगा और हमारे दुख सुख में भी वही सहाई होगा इस समय केवल मालिक ही हमारी संभाल कर सकता है हमारे चाहने वाले भी हमसे दूर भाग रहे हैं तो आप समझ सकते हैं की ये जो भी रिश्ते नाते हैं यह सब मतलब से बने हुए हैं सबको अपनी-अपनी पड़ी हुई है कोई किसी के बारे में नहीं सोच रहा कोई किसी के पास नहीं जा रहा एक दूसरे से हम भाग रहे हैं और इस समय मालिक ही हमारे पास खड़ा है कुल मालिक ही है जो हमारे दुखों को दूर कर सकता है हमें इस मुसीबत से बाहर निकाल सकता है अगर उसकी रेहमत हम पर हो जाती है तो हमें किसी से भी डरने की जरूरत नहीं है आप देख सकते हैं जो पूर्ण संत महात्मा है उनको किसी बात का कोई डर नहीं है क्योंकि वह मालिक से जुड़े हुए हैं उनको सब मालूम है कि आगे क्या होने वाला है लेकिन वह उसके हुकम में रहते हैं वह अंतर्यामी होते हैं वह उस खुदा का रूप होते हैं देखने में हमारे जैसे लगते हैं लेकिन कुल मालिक होते हैं तो हमें भी इस समय ज्यादा से ज्यादा समय अपने परिवार वालों के साथ नाम सिमरन में लगाना है और व्यर्थ कामों में हमें नहीं पढ़ना है इस समय अगर हम चाहते हैं कि मालिक हमारा हाथ पकड़े तो हमें नाम सिमरन करना है क्योंकि नाम सिमरन ही मालिक की बाजू है अगर हम इसे पकड़ लेते हैं तो हमारा कुछ भी नहीं हो सकता हमारी संभाल संगत की संभाल फिर वह खुद करता है कोई चीज उनके पास नहीं आती कोई महामारी उनके पास नहीं आती क्योंकि जैसे की वाणी में फरमाया गया है " व्हिच करता पुरख खलोया बाल ना बिंगा होया " कि जहां पर कुल मालिक खुद आ जाता है जहां पर खुद मालिक अपने शिष्य की संभाल करने के लिए आ जाता है तो फिर कोई भी चीज उसके शिष्य का कुछ नहीं बिगाड़ सकती उसके बाल तक को नहीं छू सकती तो हमें भी अब नाम की कमाई में लगना है रोजाना यह नियम बना लेना है कि इस समय हमें सभी को उसकी याद में बैठना है नाम सिमरन करना है ज्यादा से ज्यादा करना है , क्योंकि साथ में किया गया नाम सिमरन साथ में किया गया भजन सिमरन, साथ में की गई अरदास जल्दी ही उस कुल मालिक तक पहुंचती है क्योंकि जब सब बच्चे इकट्ठे होकर अपने बाप को ही याद करते हैं पुकार लगाते हैं तो उसे सुनने ही पड़ती है वह सुने बिना रह नहीं सकता क्योंकि उसके बच्चे उसे पुकार रहे हैं तो उसे हमारी पुकार सुननी ही पड़ती है हमें भी नाम सिमरन में वक्त देना है जो भी हम कर रहे हैं जैसे भी कर रहे हैं उन सब कामों को अलग रखकर हमें नाम सिमरन में लगना है समय निकालना है अपने परिवार वालों के साथ उसकी याद में बैठना है ताकि हमारी की गई फरियाद उसके दरबार पर कबूल हो सके, और हमारी इस महामारी से संभाल हो सके और हम फिर से वैसे ही सतगुरु की सेवा में संगत की सेवा में सत्संग में लीन हो सके जैसे हम पहले गुरु घर की सेवा करते थे संगत की सेवा में लीन रहते थे बहुत समय हो गया है संगत गुरु घर जाने के लिए तड़प रही है सतगुरु के दर्शनों के लिए तड़प रही है सतगुरु इस समय अभी हमें यही कह रहे हैं कि नाम सिमरन करो तो हमें उनके हुक्म की पालना करते हुए नाम सिमरन का जाप करना है उनका हुक्म मानकर करना है क्योंकि सतगुरु हमें यही पुकार लगा रहे हैं कि नाम सिमरन करो जितना हो सकता है उतना करो क्योंकि मालिक ही हमें अपनी शरण दे सकता है हमें ऐसे माहौल से बचा सकता है ,साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ,अगर आप साखियां, सत्संग और सवाल जवाब पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखियां, सत्संग और सवाल जवाब की Notification आप तक पहुंच सके । 

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