इस सत्संगी माता ने कहा भजन सिमरन करो ! मुझे दिख रहा है आने वाला समय कैसा होगा ! ज़रूर सुने


गुरु प्यारी साध संगत जी यह बातें एक कमाई वाली सत्संगी माई की है साध संगत जी कुछ दिनों पहले मेरी मुलाकात माई से हुई जिनसे मेरा बहुत प्रेम है क्योंकि वह रूहानियत की तरफ ज्यादा ध्यान देते हैं और उनका भजन सिमरन भी बहुत है और वह लोगों से कम ही बात करते हैं ज्यादा बात नहीं करते ,जितनी जरूरत होती है उतना ही बोलते हैं तो कुछ दिन पहले मेरी उनसे मुलाकात हुई और उस दिन उन्होंने मुझसे बहुत बातें की, वह दुनिया की बातों में ज्यादा ध्यान नहीं देते ,लेकिन अगर कोई उनसे रूहानियत के बारे में पूछता है तो वह खुले दिल से उससे बातें करते हैं ऐसे ही मैंने भी मांझी से कहा की माता जी अब जो समय चल रहा है जब से नया साल शुरू हुआ है हम देख रहे हैं कि कोई ना कोई मुसीबत आ रही है कभी कुछ हो जाता है कभी कुछ हो जाता है, हर एक इंसान ऐसा ही कह रहा है इसके पीछे का कारण क्या हो सकता है इस समय सभी परेशान है सभी के मन में यही सवाल पैदा हो रहा है कि अब आगे क्या होगा ? कितनी देर तक यह ऐसे ही रहेगा ? क्या इसका कोई हल नहीं होगा ? सभी के काम धंधे रुके हुए हैं और हम सभी घरों में कैद हैं साध संगत जी पहले तो माताजी सारी बातें सुनती गई साथ में दो और लोग भी थे जिन्होंने माताजी से कुछ सवाल किए वह सवाल रूहानियत के बारे में थे जो उन्होंने माता जी से पूछे माताजी ने उसका जवाब भी उन्हें दिया तो इसके बाद माताजी ने कहा कि हमें हमारी कितनी फिक्र है हमें कितनी परेशानी हो रही है कि हम घर कैसे चलाएंगे ? हमारा कारोबार कैसे चलेगा ? क्या हम ऐसे ही घरों पर रहेंगे ! या फिर इसका कोई हल होगा ,कितनी परेशानी हमें हो रही है लेकिन क्या हम उस कुल मालिक से ज्यादा बेहतर समझते हैं क्या हम उससे ऊपर हैं हम उससे ज्यादा समझदार हैं ? हमें चिंता पड़ी हुई है कि हमारा घर खर्च कैसे चलेगा हमारा कारोबार कैसे चलेगा लेकिन जो वह मालिक पूरी सृष्टि को चला रहा है क्या उसे हमारी चिंता नहीं है क्या वह नहीं जानता इस समय क्या हो रहा है ,क्या चल रहा है ,भाई हमारी चिंता उसकी चिंता से बड़ी नहीं है वह सब जानता है वह जो भी करता है हमारे भले के लिए ही करता है लेकिन हम तो सवाल करने लग जाते हैं कि ऐसा क्यों हुआ  ! ऐसा नहीं होना चाहिए था, लेकिन हम उसके भाने को समझ ही नहीं पाते हमें तो छोटी-छोटी बातों की चिंता रहती है वह तो पूरी सृष्टि को चला रहा है क्या उसे हमारी चिंता नहीं हो रही होगी, क्या अब जो भी हो रहा है वह उसके हुक्म से बाहर है ! भाई जो भी हो रहा है उसके हुक्म के अंदर ही हो रहा है उसके हुकम के बाहर एक तिनका भी नहीं है हमें किसी बात की चिंता नहीं करनी हमें अपनी चिंता उस कुल मालिक पर छोड़ देनी है लेकिन हम इससे उल्टा ही करते हैं ,तरह-तरह की चिंता हम करने लग जाते हैं हम यह नहीं सोचते कि हम तो छोटी छोटी बातों की ही चिंता कर रहे हैं लेकिन वह जो पूरे संसार को चला रहा है उसे कितनी चिंता हो रही होगी लेकिन यह संसार उसकी एक माया है वह जो चाहे इसमें कर देता है जो चाहे बदल देता है वह उसकी मर्जी है वह जो भी करता है ठीक करता है,वह जो भी करता है उसके करने के पीछे कोई ना कोई कारण अवश्य होता है ऐसा नहीं कि कोई कारण ना रहा हो तो हमें केवल और केवल भजन सिमरन पर जोर देना है कमी सिर्फ यहां ही है कि हम करनी तो करते नहीं है सवाल करने शुरू कर देते हैं कि यह क्यों हो रहा है ,यह नहीं होना चाहिए, आगे क्या होगा, अगर हम भजन सिमरन करें तो हमें पता चल सके हमें असल का ज्ञान हो सके, लेकिन नहीं हमारे पास तो बहाने हैं कि नहीं होगा हमारा मन नहीं लगता ऐसे तरह-तरह के बहाने हम बना देते हैं और जब कोई मुसीबत की घड़ी आती है तो सवाल करने शुरू कर देते हैं कि यह क्या हो गया भाई अगर भजन सिमरन किया होता तो यह सवाल भी नहीं होने थे और किसी तरह का कोई डर भी नहीं होना था इसलिए हमें उसके हुक्म की पालना करते हुए भजन सिमरन करना है नाम की कमाई करनी है और किसी बातों में हमें नहीं पढ़ना हमारे सतगुरु बाबा जी हमें जो समझाते हैं हमें उनके उपदेश पर चलना है उनका कहना मान कर करनी करनी है वह इतना जोर देकर हमें समझाते हैं लेकिन हम ऐसी ढीठ बने हुए हैं कि हम पर उनकी कही गई किसी बात का असर नहीं होता लेकिन जो करनी करने लग जाता है जो अपने गुरु के उपदेश को समझ लेता है वह इस खेल को समझ लेता है फिर उसका कोई सवाल नहीं रहता, उसे ज्ञान हो जाता है गुरु की कृपा उस पर अपार रहती है इसी के चलते मांझी से एक पोथी के बारे में वार्तालाप भी हुई जोकि श्री गुरु रविदास महाराज जी की है जो कि अभी अभी हमारे सामने आई है जिसमें सतगुरु ने लिखा है जिसमें सतगुरु ने अब जो हो रहा है इस समय के बारे में पहले ही बयान कर दिया था वह मैं आपसे शेयर करता हूं
सभी तरफ कोहराम मचेगा कैसे हिंदुस्तान बचेगा ।।
नेता मंत्री और अधिकारी जान बचाना होगा भारी ।।
छोड़ सब मैदान भागेंगे सब अपने-अपने घर दुबकेगे ।।
चीन अरब की धुरी बनेगी सभी तरफ संगीन लड़ाई ।।
इटली में कोहराम मचेगा, युद्ध तीसरा परलेकारी ।।
जब इसके बारे में मांझी से पूछा गया तो मांझी ने कहा यह मैंने पढ़ी नहीं है लेकिन फिर भी कहती हूं कि जो पूर्ण संत सतगुरु होते हैं उनको युगों युगों की खबर रहती है उनको पहले से ही सब मालूम हो जाता है कि आगे क्या होने वाला है लेकिन वह किसी को बताते नहीं है वह मालिक के हुक्म में रहते हैं मालिक के भाने में रहते हैं वह मालिक के हुक्म की उलंगना नहीं करते ,उनको सब मालूम होता है लेकिन जानते हुए भी वह अनजान रहते हैं मालिक के भाने में रहते हैं लेकिन अगर दूसरी तरफ देखें अगर हमें मालिक की कृपा से कुछ हासिल होता है तो हम उसका ढिंढोरा पीटना शुरू कर देते हैं हम उसे हजम नहीं कर पाते ,सत्संग में कितनी बार समझाया जाता है कि भाई हजम करना सीखो लेकिन हम हजम नहीं कर पाते हम उसका ढिंढोरा पीटते हैं और जब सबका सब हम बांट देते हैं तो हम खाली रह जाते हैं तब हमें पछतावा होता है कि मैंने यह क्या कर दिया क्योंकि मालिक अपनी कृपा उसी पर बनाए रखता है जो उसके भाने में रहता है जो उसके हुकम के अंदर रहता है उस पर अपनी कृपा व अपार रखता है लेकिन जो ढिंढोरा पीटना शुरू कर देता है वह उसे अपना हाथ थोड़ा सा खींच लेता है देना उसने उसको भी है लेकिन तब देता है जब उसका वह बच्चा समझदार हो जाता है जब उसे पता चल जाता है कि यह कीमती खजाना मुझे ऐसे नहीं बांटना मुझे इसे हजम करना सीखना है मुझे अभी और आगे जाना है मुझे यहां रहते हुए भी ऐसे रहना है जैसे मैं कुछ नहीं जानता, जैसे कि हमारे संत सतगुरु हमारे महात्मा है उनको आज की नहीं, कल की नहीं ,युगों युगों की खबर होती है लेकिन वह हमारी तरह ही दिखाई पड़ते हैं और हम भी यही समझ लेते हैं कि वह भी हमारे जैसे हैं लेकिन वह हमसे बहुत ऊपर हैं ,दिखाई बेशक हमारे जैसे पढ़ते हैं लेकिन वह मालिक से मिलकर मालिक का रूप हो गए होते हैं इसलिए तो जब हम उनके दर्शन करते हैं तो हमें शांति मिलती है हमें हमारी असलियत का पता चलता है और कभी कभी हमारी आंखों से आंसू भी टपक पड़ते हैं ,पूर्ण संत महात्माओं का यही एक अनूठा रहस्य होता है कि जब भी हम उनके दर्शन करते हैं हमारे अंदर एक कशिश सी पैदा हो जाती है कि हम भी मालिक से मिलकर उसका ही रूप बन जाए इसलिए तो सत्संग में भी समझाया जाता है की आत्मा परमात्मा की अंश है लेकिन अभी हम पर इतनी मेल चढ़ गई है जिसे हमें ही उतारना है और जैसे-जैसे हम भजन सिमरन करते जाएंगे जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते जाएंगे यह मेल उतरती जाएगी और हम अपने निजधाम पहुंच जाएंगे इसलिए हमें किसी बात से डरने की जरूरत नहीं है कि आगे क्या होगा ,यह क्यों हो रहा है और हमें किसी तरह की बीमारी से डरने की जरूरत नहीं है हमें केवल और केवल भजन सिमरन पर जोर देना है बाकी सब उस कुल मालिक पर छोड़ देना है क्योंकि जब हम उसका काम करना शुरू कर देते हैं तब हमारी रखवाली उसके हाथ में हो जाती है हमारी संभाल वह खुद करने लग जाता है हमें हमारी चिंता नहीं होनी चाहिए क्योंकि फिर हमारे अंग संग वहीं रहता है हमारे इर्द-गिर्द उसकी सुगंध रहती है उसका हाथ रहता है इसलिए भजन सिमरन पर जोर देना है और किसी बातों में नहीं पड़ना अब हमारे पास बहुत समय है हमें ज्यादा से ज्यादा भजन सिमरन पर जोर देना है साध संगत जी यह बात कहकर माताजी ने सभी को राधा स्वामी की ।


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