गुरु प्यारी साध संगत जी, संत स्तगुरुओ को किसी चीज़ की कमी नहीं होतीं ।
यह बात हजूर महाराज जी के समय की है, साध संगत जी ,डेरे में purchase की सेवा लगी हुई थी चण्डीगढ़ से कुछ सामान डेरे के लिए ख़रीद करके डेरे में भेजना होता था,इसी सिलसिले में एक बार डेरे से purchase ऑफ़िसर ख़ुद यहाँ आए हुए थे उन्होंने सेक्रेटेरी shiri GS भटनागर को बताया कि उनका विदेश में बिज़नेस है और जब उन्हें ब्यास में purchase ऑफ़िसर की सेवा मिली तो हुज़ूर महाराज जी ने उन्हें बुलाके कहा, अरोरा जी आप डेरे की जब भी purchase करो तो एक बात का पूरा ख़याल रखना की कभी भी बिलिंग में टैक्स की हेराफेरी नहीं करनी जेसा तुम अपने बिज़नेस में करते थे, ये मत सोचना कि टैक्स चोरी करके डेरे की बचत करनी है, ऐसा मत सोचना, डेरे को पेसे की कमी नहीं है, फिर महाराज जी ने दरिया की ओर ऊँगली करते हुए कहा कि ये जो दरिया चल रहा है, ये पानी का नहीं, ये डेरे के लिए बाबा जी ने नोटो का भरा हुआ चला रखा है जब भी चाहे हम यहाँ से जितने मर्ज़ी पैसे निकाल सकते हैं डेरे को कभी पेसे की कमी नहीं होंगीं , साध संगत जी जैसे कि हम सभी जानते हैं कि जब डेरे की शुरुआत हुई थी तब भी संगत ने कैसे बढ़-चढ़कर डेरे के निर्माण के लिए कितना कुछ किया था यह कुल मालिक खुद ही कर सकता है इतनी आसानी से सब हो गया था कि कुछ कहा नहीं जा सकता जिस कार्य में वह कुल मालिक खुद आ जाता है वहां पर किसी चीज की कभी भी कोई कमी नहीं रहती हमारे संत सद्गुरु कुल मालिक का रूप हुए हैं, महाराज सावन सिंह जी फौज में नौकरी करते थे और हर महीने डेरे को सेवा भेजते थे, महाराज जी वेतन मिलने पर सबसे पहले डेरे को सेवा भेजते थे और बाद में घर खर्च भेजते थे, महाराज जी का बाबा जयमल सिंह जी से बहुत प्रेम था और महाराज जयमल सिंह जी भी बाबा जी से बहुत प्रेम करते थे, हमेशा चिट्ठी लिखकर उनका हालचाल पूछते रहते थे, साध संगत जी,अभी भी लाक डाउन में बाबा जी ने management को कहा है जितना ज़्यादा से ज़्यादा लंगर बनाना पड़े बनाओ, डेरे में किसी चीज़ की कमी नही होने वाली ,न्यूज़ के मुताबिक़ डेरे की तरफ़ से डेढ़ करोड़ पेक लंच रोज़ाना बनाया जा रहा है ,इतना बड़ा काम कोई रूहानी ताक़त ही कर सकती हैं , आप देख सकते हैं कि आज तक कभी भी डेरे की तरफ से कोई स्पेशल सेवा संगत से नहीं ली जाती संगत को कभी नहीं कहा जाता कि आप डेरे को पैसे की सेवा प्रदान करें ऐसा कभी नहीं कहा गया है लेकिन फिर भी संगत अपनी मर्जी से गुरु घर में सेवा प्रदान करती है यह संगत का डेरे के प्रति प्यार है और साथ ही एक बात और देखने को मिलती है की संगत की दी हुई सेवा व्यर्थ नहीं जाती कैसे वहां पर हर एक चीज का उपयोग किया जाता है यह हमें वहां से सीखना चाहिए वहां पर कोई भी चीज व्यर्थ नहीं की जाती उसे किसी ना किसी उपयोग में लाया जाता है और संगत भी बड़े ही प्रेम और प्यार से वहां पर सेवा करती है सतगुरु के हुक्म की पालना करती है वहां पर हर एक चीज पूरी तरह से बैलेंस की हुई है हर एक चीज का उपयोग किया जाता है और बहुत ही बेहतर तरीके से किया जाता है वहां पर सब कुछ इतनी अच्छी तरह से मैनेज किया हुआ है जिसकी जितनी प्रशंसा करें उतनी ही कम है साध संगत जी डॉक्टर, इंजीनियर और बड़े से बड़े ऑफिसर वहां पर सेवा करते हैं गुरु घर की सेवा करते हैं सतगुरु के हुक्म की पालना करते हैं वहां पर कुर्सी का या फिर किसी तरह के अहोदे का कोई भेदभाव नहीं है सब एक समान सेवा करते हैं वहां पर कोई बड़ा नहीं है कोई छोटा नहीं है
सभी एक साथ सेवा करते हैं एक साथ ही सत्संग सुनते हैं और साथ ही खाना खाते हैं जिससे हमारा मन झुकना सीखता है और संगत के प्रति प्रेम बढ़ता है गुरु के प्रति प्रेम बढ़ता है यह बात वहां सीखने को मिलती है और साथ ही डेरे में सफाई का इतना ध्यान रखा जाता है कि कहीं भी कोई कूड़ा करकट दिखाई नहीं देता और अगर कोई छोटा सा पत्ता भी देखने को मिल जाता है तो संगत तुरंत उसे उठा लेती है और वहां पर कूड़ा दान बने हुए हैं उसमें डाल देती है ऐसे संगत वहां पर सेवा करती है ,वहां पर संगत का सतगुरु के प्रति इतना प्रेम है कि अगर पूरा दिन सेवा करने का या सिमरन करने का हुक्म हो जाए तो संगत उस हुक्म को निभाने लग जाएगी इतना सतगुरु से प्रेम है संगत से प्रेम है सच में डेरा रोहानियत की एक बहुत बड़ी मिसाल है विश्वभर से वहां पर संगत आती है सतगुरु के दर्शन करने के लिए सतगुरु का सत्संग सुनने के लिए और संगत की सेवा करने के लिए, वहां पर जाकर संगत एक परिवार जैसी लगती है एक दूसरे से इतना प्रेम वहां से सीखने को मिलता है ऐसे लगता है कि वह हमारे अपने हैं सत्संगी भाई हैं हमारे गुरु भाई हैं ऐसा प्रेम संगत में वहां पर देखा जाता है सभी को प्यार से बुलाया जाता है सच में डेरा रोहानियत की एक बहुत बड़ी मिसाल है , वहां पर केवल और केवल रोहानियत से जुड़ी बातें की जाती हैं और एक बार सतगुरु द्वारा फरमाया भी गया था कि यहां पर आपको केवल रूहानियत ही मिलेगी, तो साध संगत जी वहां पर जाकर हर कोई अपने आप ही बदल सा जाता है जिसने कभी घर पर कोई काम नहीं किया होता, कोई सेवा नहीं की होती वह भी वहां जाकर सेवा करने लग जाता है उसे अपने आप ही वहां का रंग चढ़ने लग जाता है और वह संगत की सेवा में सतगुरु की सेवा में लीन हो जाता है यह चमत्कार वहां पर देखने को मिलता है , सच में डेरे की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी ही कम है, एक वही ऐसी जगह है जहां पर जाकर पीछे का कोई ख्याल नहीं रहता हमें एक तरह से अजीब तरह की आजादी मिल जाती है हमें हल्का सा महसूस होता है क्योंकि वहां की सुगंध ही ऐसी है वहां की खुशबू ही ऐसी है, जो भी वहां पर जाता है उसका वापस आने का मन नहीं करता यह बहुत बार देखा गया है संगत द्वारा सुना गया है कि वहां पर जाकर मन शांत हो जाता है और अपने आप ही मन सेवा में लगने लगता है सिमरन में लगने लगता है ।साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ,अगर आप रूहानी साखियां सुनना पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखियां, सत्संग की Notification आप तक पहुंच सके ।
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