साध संगत जी यह साखी एक सत्संगी माई से संबंधित है इस साखी को सुनकर हमें नाम जैसी अनमोल दौलत की अहमियत के बारे में पता चलेगा, नाम की शक्ति ,नाम की ताकत हमें कैसे इस समाज में होने वाले बुरे कृतियों से बचाए रखती है इसके बारे में हमें पता चलेगा तो साखी को पूरा सुनने की कृपालता करें जी ।
साध संगत जी एक सत्संगी माई जिनका नितनेम था कि वह रोजाना 5 से 6 घंटे भजन सिमरन को देती थी उन्होंने कभी भी नाम की कमाई करने में नागा नहीं डाला था वह अपने सतगुरु के हुक्म के अनुसार रोजाना भजन बंदगी करती, नाम की कमाई करती ,वह सुबह उठकर सबसे पहले मालिक की याद में समय देती उसके बाद कोई कार्य करती उन्होंने नियम बना रखा था कि रोजाना सुबह सबसे पहले नाम की कमाई करनी है उसके बाद ही कोई दुनिया का कार्य करना है तो ऐसे ही उनका यह नियम बना हुआ था कि वह रोजाना नितनेम करती थी साध संगत जी जब हम किसी चीज को इतनी महत्वता देने लग जाते हैं तब वह चीज हमारी दिनचर्या में अपने आप ही होने लगती है उसको करने के लिए हमें ज्यादा प्रयास नहीं करने पड़ते वह अपने आप ही हमसे होने लगती हैं कुछ सत्संगियों की शिकायत रहती है कि उनसे भजन सिमरन नहीं होता क्योंकि उन्हें समय नहीं मिल पाता या फिर अन्य कार्य होते हैं जिसके कारण उनसे भजन सिमरन नहीं होता, कुछ सत्संगीयों का कहना है कि वह सिमरन के लिए बैठते हैं लेकिन उनका मन नहीं लगता मन इधर-उधर भटकता रहता है जिसकी वजह से उनसे नाम सिमरन नहीं हो पाता लेकिन जो मालिक के सच्चे प्रेमी होते हैं वह मन लगे या ना लगे वह समय जरूर देते हैं और मालिक उन पर एक ना एक दिन कृपा कर ही देता है इसी तरह वह मांझी भी थी जो रोजाना मालिक का नाम सिमरन किया करती थी, जिसका प्रभाव उनके घर वालों पर भी पढ़ता था वह उनको भी अक्सर बोला करती थी कि सुबह उठकर सबसे पहले मालिक की याद में बैठा करो, थोड़ा समय ही सही लेकिन बैठा करो उसके बाद ही कोई कार्य किया जाना चाहिए ,लेकिन साध संगत जी जिस पर उस कुल मालिक की कृपा होती है वह उसी को अपनी भक्ति में लगाता है नाम की कमाई करने में लगाता है तो इसी तरह माता के घर वाले उनकी बात सुन तो लेते थे लेकिन अमल में नहीं लाते थे लेकिन मांझी की कमाई का घर वालों पर भी असर पड़ता था साध संगत जी जैसे कि आप जानते हैं कि अगर गुलाब का फूल हो तो वह सुगंध तो देता ही है और उसी के साथ-साथ आसपास भी उसकी सुगंध का असर पड़ता है उसका प्रभाव रहता है तो ऐसे ही नाम की कमाई करने वाले भी एक गुलाब के फूल की तरह खिल जाते हैं वह हमेशा ही प्रसन्न रहते हैं और जहां वह रहते हैं उनका प्रभाव आसपास रहने वाले लोगों पर भी पड़ता है परिवार पर भी पड़ता है तो इसी तरह मांझी का अपने परिवार वालों पर भी प्रभाव था लेकिन उनकी उनके पड़ोस से कुछ अनबन थी जिसकी वजह से वह उनको बुलाते नहीं थे उनका कुछ झगड़ा था जिसकी वजह से वह एक दूसरे को बुलाते नहीं थे और वह झगड़ा चलता ही रहता था मांझी ने अपने परिवार वालों को बहुत बार समझाया कि आप कुछ मत बोला करो अगर वह कुछ कहते भी हैं तो चुप रहो मालिक सब देख रहा है हमें चुप रहना चाहिए उन्हें जो करना है उन्हें करने दो उन्हें जो बोलना है उन्हें बोलने दो लेकिन तुम चुप रहो ,मांझी अक्सर अपने परिवार वालों को यही बात कहा करती थी , एक दिन किसी बात को लेकर बात इतनी आगे बढ़ गई कि वह लड़ने झगड़ने लग पड़े सभी गांव वाले इकट्ठे हो गए आसपास के सब लोग इकट्ठे हो गए क्योंकि झगड़ा बहुत बढ़ गया था मांझी ने उन्हें शांत करने की कोशिश की लेकिन कोई बात नहीं बनी वह एक दूसरे को मारने काटने के लिए तैयार हो गए इसी बात को लेकर बहुत लड़ाई हुई ,कोई पानी से संबंधित समस्या थी जिसके कारण वह लड़ झगड़ रहे थे उसके बाद आसपास के लोगों ने उनको शांत किया लेकिन कुछ दिनों बाद फिर वैसे ही लड़ाई हुई तो इसके बाद उनके पड़ोस वालों ने सोचा कि क्यों ना इन पर कोई जादू टोना करवाया जाए तो वह यह सब करवाने के लिए उन लोगों के पास जाने लगे जो लोग यह सब काम करते हैं तो जब उन्होंने उन पर जादू टोना करवाने की कोशिश की तो उस तांत्रिक ने उनसे कुछ चीजें मांगी जैसे कि उनके परिवार वालों की तस्वीरें और अन्य वस्तुएं जिससे कि वह अपना काम कर सके तो उन्होंने यह सब कर दिया जैसे ही उसने यह सब करने की कोशिश की, उसके हाथ रुक जाते उसने बार-बार करने की कोशिश की लेकिन फिर ऐसे ही होता कुछ बात ना बनती, गहराई में जाने के बाद उसे यह मालूम हुआ कि उनके परिवार में कोई है जिसकी वजह से मेरा सब काम असफल हो रहा है उनके परिवार में कोई तो है जो एक बहुत बड़ी शक्ति से जुड़ा हुआ है उस शक्ति के आगे हम भी कुछ नहीं है तब उसे मालूम हुआ कि उनके परिवार में एक माताजी है जिनके कारण उसका हर किया गया कार्य असफल हो रहा है उसने उनके सामने हाथ जोड़ दिए और कहा कि आज तक ऐसा नहीं हुआ कि कोई मेरे पास आए और मैं उसका काम ना कर सकूं आज पहली बार यह हो रहा है आज पहली बार ऐसा हुआ है कि मैं अपने कार्य में असफल हुआ हूं वह केवल इसलिए हुआ है क्योंकि जिन पर आप यह सब करवाने की बात कह रहे हो उनके पूरे परिवार पर यह माताजी की कृपा है इनका प्रभाव है आप तो क्या बड़े से बड़ा तांत्रिक भी इनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता मैं तो फिर भी कुछ नहीं हूं आप जिसके पास मर्जी चले जाओ लेकिन आप इनका कुछ नहीं कर सकते इसलिए मेरी आपसे यही विनती है कि आप उनसे ना झगड़े और उनसे सुला कर ले यह बातें सुनकर वह घर आ गए, साध संगत जी इस साखी से हमें यही प्रेरणा मिलती है की नाम की कमाई से ऊपर कुछ भी नहीं है इसलिए तो कहा गया है "प्रभु का सिमरन सबसे ऊंचा" की मालिक का नाम ही सबसे ऊंचा है उसे ऊपर और कोई ताकत नहीं है साध संगत जी हमें भी नाम की कमाई में लगना है नाम की कमाई करनी है और बिना नागा करनी है साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ,अगर आप साखियां, सत्संग और सवाल जवाब पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखियां, सत्संग और सवाल जवाब की Notification आप तक पहुंच सके ।
साध संगत जी एक सत्संगी माई जिनका नितनेम था कि वह रोजाना 5 से 6 घंटे भजन सिमरन को देती थी उन्होंने कभी भी नाम की कमाई करने में नागा नहीं डाला था वह अपने सतगुरु के हुक्म के अनुसार रोजाना भजन बंदगी करती, नाम की कमाई करती ,वह सुबह उठकर सबसे पहले मालिक की याद में समय देती उसके बाद कोई कार्य करती उन्होंने नियम बना रखा था कि रोजाना सुबह सबसे पहले नाम की कमाई करनी है उसके बाद ही कोई दुनिया का कार्य करना है तो ऐसे ही उनका यह नियम बना हुआ था कि वह रोजाना नितनेम करती थी साध संगत जी जब हम किसी चीज को इतनी महत्वता देने लग जाते हैं तब वह चीज हमारी दिनचर्या में अपने आप ही होने लगती है उसको करने के लिए हमें ज्यादा प्रयास नहीं करने पड़ते वह अपने आप ही हमसे होने लगती हैं कुछ सत्संगियों की शिकायत रहती है कि उनसे भजन सिमरन नहीं होता क्योंकि उन्हें समय नहीं मिल पाता या फिर अन्य कार्य होते हैं जिसके कारण उनसे भजन सिमरन नहीं होता, कुछ सत्संगीयों का कहना है कि वह सिमरन के लिए बैठते हैं लेकिन उनका मन नहीं लगता मन इधर-उधर भटकता रहता है जिसकी वजह से उनसे नाम सिमरन नहीं हो पाता लेकिन जो मालिक के सच्चे प्रेमी होते हैं वह मन लगे या ना लगे वह समय जरूर देते हैं और मालिक उन पर एक ना एक दिन कृपा कर ही देता है इसी तरह वह मांझी भी थी जो रोजाना मालिक का नाम सिमरन किया करती थी, जिसका प्रभाव उनके घर वालों पर भी पढ़ता था वह उनको भी अक्सर बोला करती थी कि सुबह उठकर सबसे पहले मालिक की याद में बैठा करो, थोड़ा समय ही सही लेकिन बैठा करो उसके बाद ही कोई कार्य किया जाना चाहिए ,लेकिन साध संगत जी जिस पर उस कुल मालिक की कृपा होती है वह उसी को अपनी भक्ति में लगाता है नाम की कमाई करने में लगाता है तो इसी तरह माता के घर वाले उनकी बात सुन तो लेते थे लेकिन अमल में नहीं लाते थे लेकिन मांझी की कमाई का घर वालों पर भी असर पड़ता था साध संगत जी जैसे कि आप जानते हैं कि अगर गुलाब का फूल हो तो वह सुगंध तो देता ही है और उसी के साथ-साथ आसपास भी उसकी सुगंध का असर पड़ता है उसका प्रभाव रहता है तो ऐसे ही नाम की कमाई करने वाले भी एक गुलाब के फूल की तरह खिल जाते हैं वह हमेशा ही प्रसन्न रहते हैं और जहां वह रहते हैं उनका प्रभाव आसपास रहने वाले लोगों पर भी पड़ता है परिवार पर भी पड़ता है तो इसी तरह मांझी का अपने परिवार वालों पर भी प्रभाव था लेकिन उनकी उनके पड़ोस से कुछ अनबन थी जिसकी वजह से वह उनको बुलाते नहीं थे उनका कुछ झगड़ा था जिसकी वजह से वह एक दूसरे को बुलाते नहीं थे और वह झगड़ा चलता ही रहता था मांझी ने अपने परिवार वालों को बहुत बार समझाया कि आप कुछ मत बोला करो अगर वह कुछ कहते भी हैं तो चुप रहो मालिक सब देख रहा है हमें चुप रहना चाहिए उन्हें जो करना है उन्हें करने दो उन्हें जो बोलना है उन्हें बोलने दो लेकिन तुम चुप रहो ,मांझी अक्सर अपने परिवार वालों को यही बात कहा करती थी , एक दिन किसी बात को लेकर बात इतनी आगे बढ़ गई कि वह लड़ने झगड़ने लग पड़े सभी गांव वाले इकट्ठे हो गए आसपास के सब लोग इकट्ठे हो गए क्योंकि झगड़ा बहुत बढ़ गया था मांझी ने उन्हें शांत करने की कोशिश की लेकिन कोई बात नहीं बनी वह एक दूसरे को मारने काटने के लिए तैयार हो गए इसी बात को लेकर बहुत लड़ाई हुई ,कोई पानी से संबंधित समस्या थी जिसके कारण वह लड़ झगड़ रहे थे उसके बाद आसपास के लोगों ने उनको शांत किया लेकिन कुछ दिनों बाद फिर वैसे ही लड़ाई हुई तो इसके बाद उनके पड़ोस वालों ने सोचा कि क्यों ना इन पर कोई जादू टोना करवाया जाए तो वह यह सब करवाने के लिए उन लोगों के पास जाने लगे जो लोग यह सब काम करते हैं तो जब उन्होंने उन पर जादू टोना करवाने की कोशिश की तो उस तांत्रिक ने उनसे कुछ चीजें मांगी जैसे कि उनके परिवार वालों की तस्वीरें और अन्य वस्तुएं जिससे कि वह अपना काम कर सके तो उन्होंने यह सब कर दिया जैसे ही उसने यह सब करने की कोशिश की, उसके हाथ रुक जाते उसने बार-बार करने की कोशिश की लेकिन फिर ऐसे ही होता कुछ बात ना बनती, गहराई में जाने के बाद उसे यह मालूम हुआ कि उनके परिवार में कोई है जिसकी वजह से मेरा सब काम असफल हो रहा है उनके परिवार में कोई तो है जो एक बहुत बड़ी शक्ति से जुड़ा हुआ है उस शक्ति के आगे हम भी कुछ नहीं है तब उसे मालूम हुआ कि उनके परिवार में एक माताजी है जिनके कारण उसका हर किया गया कार्य असफल हो रहा है उसने उनके सामने हाथ जोड़ दिए और कहा कि आज तक ऐसा नहीं हुआ कि कोई मेरे पास आए और मैं उसका काम ना कर सकूं आज पहली बार यह हो रहा है आज पहली बार ऐसा हुआ है कि मैं अपने कार्य में असफल हुआ हूं वह केवल इसलिए हुआ है क्योंकि जिन पर आप यह सब करवाने की बात कह रहे हो उनके पूरे परिवार पर यह माताजी की कृपा है इनका प्रभाव है आप तो क्या बड़े से बड़ा तांत्रिक भी इनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता मैं तो फिर भी कुछ नहीं हूं आप जिसके पास मर्जी चले जाओ लेकिन आप इनका कुछ नहीं कर सकते इसलिए मेरी आपसे यही विनती है कि आप उनसे ना झगड़े और उनसे सुला कर ले यह बातें सुनकर वह घर आ गए, साध संगत जी इस साखी से हमें यही प्रेरणा मिलती है की नाम की कमाई से ऊपर कुछ भी नहीं है इसलिए तो कहा गया है "प्रभु का सिमरन सबसे ऊंचा" की मालिक का नाम ही सबसे ऊंचा है उसे ऊपर और कोई ताकत नहीं है साध संगत जी हमें भी नाम की कमाई में लगना है नाम की कमाई करनी है और बिना नागा करनी है साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ,अगर आप साखियां, सत्संग और सवाल जवाब पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखियां, सत्संग और सवाल जवाब की Notification आप तक पहुंच सके ।
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