यह साखी हाल ही में एक सत्संगी सज्जन द्वारा फरमाए गई एक सच्ची घटना है गुरु प्यारी साध संगत जी एक मांझी जोकि बहुत सेवा करती थी उन्होंने नाम दान लिया हुआ था उन्हें जब भी सेवा का मौका मिलता वह सेवा का मौका अपने हाथ से नहीं जाने देती थी और उनके घर में भी उनको किसी भी तरह की कोई मनाही नहीं थी
उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में पूरे दिल से गुरु घर की सेवा की, अगर रात को भी सेवा का हुक्म आ जाए तो भी वह तैयार रहती थी माझी ने अपने घर वालों से कहा हुआ था कि मुझसे भजन सिमरन तो होता नहीं क्या पता सतगुरु की यही मौज है कि वह मुझसे सेवा करवा कर ही मुझे सचखंड ले जायेंगे, तो 1 दिन क्या हुआ की मांझी को सपना आया और मांझी ने सपने में देखा कि उसे सतगुरु ने कहा कि बेटा मैं तुम्हें कल इतने बजे लेने आ जाऊंगा तू तैयार रहना तो यह सपना माझी ने अपने घर वालों को भी बता दिया तो वह तैयारी करके बैठी हुई थी उधर गुरु घर से सेवा का हुक्म हुआ की सेवा जा रही है तो मांझी ने सोचा कि अब क्या करूं मुझे तो सतगुरु ने बोला है कि मैं तुझे लेने आऊंगा तो अब मैं कैसे करूं सेवा पर जाऊं या फिर ना जाऊं तो मांझी ने कहा कि सतगुरु की मौज सतगुरु ही जाने वह सेवा के लिए तैयार हो गई और सेवा के लिए वह रवाना हो गई वह सेवा लगभग 2 दिन की थी माझी ने पूरे तहे दिल से सतगुरु के घर की सेवा की और जब वह घर वापस आयी तो उसने सतगुरु के आगे फरियाद की कि आप तो मेरे सपने में आए थे और मुझे कह कर गए थे कि मैं तुझे लेने आऊंगा लेकिन आप तो आए नहीं और उस रात माजी को सतगुरु ने सपने में आकर कहा कि बेटा तू मेरे घर की सेवा में लीन थी तो मैं तुझे कैसे लेने आ सकता था इसलिए मैंने तुम्हें लेकर जाना ठीक ना समझा बेटा अब तू घर आ गई है अब मैं तुझे आराम से लेकर जा सकता हूं तो सुबह हुई और मांजी के उठने की कोई खबर नहीं थी उनके घरवालों ने देखा कि आज मांझी अपने बिस्तर से उठी क्यों नहीं वह तो अक्सर उठ जाती करती है और उन्होंने देखा कि माजी के कमरे से एक अजीब सी रोशनी आ रही थी एक अजीब सा प्रकाश था तो जब सब घरवाले माजी के कमरे में गए तो उन्होंने देखा कि मांझी बिस्तर पर लेटी हुई है और मांझी की आंखें खुली हुई हैं और चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कराहट है तो घर वालों को समझ आ गया कि मांझी अपने लोक पधार गई हैं मांझी बोल रही थी कि सतगुरु उन्हें लेने आएंगे तो सतगुरु अवश्य ही माजी को अपने साथ सचखंड ले गए हैं तो साध संगत जी सद्गुरु अपने शिष्यों की हर वक्त संभाल करते हैं जिनसे भजन सिमरन नहीं भी होता उनसे अपने घर की सेवा करवा कर उन्हें अपने साथ ले ही जाते हैं तो हमें भी चाहिए कि हमें अपने सतगुरु पर पूरा विश्वास होना चाहिए हमारे मन में किसी भी तरह की उलझन नहीं होनी चाहिए अपने सतगुरु पर दृढ़ विश्वास ही हमें इस भवसागर से पार लेकर जाएगा ।
साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ,अगर आप साखियां, सत्संग और सवाल जवाब पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखियां, सत्संग और सवाल जवाब की Notification आप तक पहुंच सके ।
उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में पूरे दिल से गुरु घर की सेवा की, अगर रात को भी सेवा का हुक्म आ जाए तो भी वह तैयार रहती थी माझी ने अपने घर वालों से कहा हुआ था कि मुझसे भजन सिमरन तो होता नहीं क्या पता सतगुरु की यही मौज है कि वह मुझसे सेवा करवा कर ही मुझे सचखंड ले जायेंगे, तो 1 दिन क्या हुआ की मांझी को सपना आया और मांझी ने सपने में देखा कि उसे सतगुरु ने कहा कि बेटा मैं तुम्हें कल इतने बजे लेने आ जाऊंगा तू तैयार रहना तो यह सपना माझी ने अपने घर वालों को भी बता दिया तो वह तैयारी करके बैठी हुई थी उधर गुरु घर से सेवा का हुक्म हुआ की सेवा जा रही है तो मांझी ने सोचा कि अब क्या करूं मुझे तो सतगुरु ने बोला है कि मैं तुझे लेने आऊंगा तो अब मैं कैसे करूं सेवा पर जाऊं या फिर ना जाऊं तो मांझी ने कहा कि सतगुरु की मौज सतगुरु ही जाने वह सेवा के लिए तैयार हो गई और सेवा के लिए वह रवाना हो गई वह सेवा लगभग 2 दिन की थी माझी ने पूरे तहे दिल से सतगुरु के घर की सेवा की और जब वह घर वापस आयी तो उसने सतगुरु के आगे फरियाद की कि आप तो मेरे सपने में आए थे और मुझे कह कर गए थे कि मैं तुझे लेने आऊंगा लेकिन आप तो आए नहीं और उस रात माजी को सतगुरु ने सपने में आकर कहा कि बेटा तू मेरे घर की सेवा में लीन थी तो मैं तुझे कैसे लेने आ सकता था इसलिए मैंने तुम्हें लेकर जाना ठीक ना समझा बेटा अब तू घर आ गई है अब मैं तुझे आराम से लेकर जा सकता हूं तो सुबह हुई और मांजी के उठने की कोई खबर नहीं थी उनके घरवालों ने देखा कि आज मांझी अपने बिस्तर से उठी क्यों नहीं वह तो अक्सर उठ जाती करती है और उन्होंने देखा कि माजी के कमरे से एक अजीब सी रोशनी आ रही थी एक अजीब सा प्रकाश था तो जब सब घरवाले माजी के कमरे में गए तो उन्होंने देखा कि मांझी बिस्तर पर लेटी हुई है और मांझी की आंखें खुली हुई हैं और चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कराहट है तो घर वालों को समझ आ गया कि मांझी अपने लोक पधार गई हैं मांझी बोल रही थी कि सतगुरु उन्हें लेने आएंगे तो सतगुरु अवश्य ही माजी को अपने साथ सचखंड ले गए हैं तो साध संगत जी सद्गुरु अपने शिष्यों की हर वक्त संभाल करते हैं जिनसे भजन सिमरन नहीं भी होता उनसे अपने घर की सेवा करवा कर उन्हें अपने साथ ले ही जाते हैं तो हमें भी चाहिए कि हमें अपने सतगुरु पर पूरा विश्वास होना चाहिए हमारे मन में किसी भी तरह की उलझन नहीं होनी चाहिए अपने सतगुरु पर दृढ़ विश्वास ही हमें इस भवसागर से पार लेकर जाएगा ।
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