गुरु प्यारी साध संगत जी यह साखी एक लड़की की सच्ची आप बीती है कृपया साखी को पूरा सुनने की कृपालता करें जी ।
साध संगत जी एक लड़की जो कि सत्संगी परिवार से थी उस लड़की का पूरा परिवार सत्संगी था जिसकी वजह से उस लड़की का बचपन से ही रूहानियत की तरफ ध्यान था क्योंकि उसके माता-पिता ने उसे बचपन से ही रूहानियत का ज्ञान देना शुरू कर दिया था साध संगत जी हम बहुत ही भागों वाले जीव हैं कि हमें नाम जैसी अनमोल दौलत मिली हुई है और हम उस कुल मालिक से जुड़े हुए हैं जितना धन्यवाद हम उस कुल मालिक का या फिर सतगुरु का करते हैं उतना ही धन्यवाद हमें अपने माता-पिता का भी करना चाहिए जिन्होंने हमें इस तरफ लगाया है जिन्होंने हमें रूहानियत का ज्ञान दिया हमें इस मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित किया साध संगत जी, नहीं तो आप देख सकते हैं कि दुनिया में क्या हो रहा है, कैसे लोग काम, क्रोध, लोभ मोह, अहंकार की आग में जल रहे हैं और कुछ लोगों को तो उस कुल मालिक की कोई खबर नहीं है वह तो सिर्फ कर्म काटने के लिए आए हैं हमें यह देख कर अपने माता-पिता का और सतगुरु का धन्यवाद करना चाहिए जिन्होंने हमें अपनी शरण में ले लिया और हमें उस कुल मालिक से जोड़ दिया हमें सच्चा ज्ञान दे दिया, नहीं तो आप आसपास देख सकते हैं कि कैसे कैसे कार्य लोग करते हैं और उनका क्या हाल होता है हम तो फिर भी उस कुल मालिक की शरण में है, बचे हुए हैं यह उस कुल मालिक की कृपा है कि उसने हमें अपने से जोड़ लिया हमारा हाथ पकड़ लिया, नहीं तो हमारा भी बुरा हाल ही होना था यह तो उस कुल मालिक का सतगुरु का कोटि-कोटि शुक्र है कि उसने हमें अपनी शरण बक्शी हुई है हमें नाम से जोड़ रखा है नाम की अनमोल दौलत हमें प्रदान की है साध संगत जी ऐसे ही एक सत्संगी परिवार था और उस परिवार में माता-पिता ने अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दी हुई थी रूहानियत से जोड़ रखा था वह शुरू से ही अपने बच्चों को रूहानियत का ज्ञान देते थे जैसे कि फरमाया जाता है कि इस समय के माहौल को देखते हुए हमें अपने बच्चों को रोहानियत से जोड़ना है मालिक के नाम से जोड़ना है ऐसे ही उन्होंने अपनी लड़की को अच्छे संस्कार दिए थे और रूहानियत से जोड़ रखा था इसलिए वह लड़की शुरू से ही एक अच्छे आचरण में रही थी और वह अक्सर अपने माता पिता के साथ सेवा में चली जाती सत्संग सुनने चली जाती क्योंकि उन्हें संगत की सेवा कर कर सत्संग सुनकर ही चैन मिलता था जैसे उस लड़की के माता-पिता थे उस लड़की का व्यवहार भी वैसे ही हो गया था वह भी अगर कोई भी सेवा आती तो उसे छोड़ती नहीं उसका मन सेवा में ही रहता सत्संग में ही रहता तो वह ज्यादा से ज्यादा समय सेवा में बिताती थी और जब उसकी शादी का समय आया तो उसकी शादी एक गैर सत्संगी परिवार में हो गई उस लड़की को नाम मिला हुआ था वह रोजाना ढाई घंटे सिमरन को देती थी और जब उसकी शादी एक गैर सत्संगी परिवार में हो गई तो उसे बहुत सारी दिकते सहन करनी पड़ी उसे सेवा पर जाने से रोका जाने लगा, सत्संग पर जाने से रोका जाने लगा बहुत मुश्किलों का सामना उसे करना पड़ा उसका पति कभी-कभी शराब भी पी लिया करता था जिसे उसे और भी तकलीफ होती थी,वह अपने ससुराल में केवल एक या दो बार ही सेवा पर जा पाई, सत्संग पर जा पाई और वहां पर भी उसके अच्छे संबंध सत्संगीयों के साथ बन गए, साध संगत जी कुल मालिक अपने प्यारों से आप ही हमें मिला देता है उसके पड़ोस में ही एक सत्संगी परिवार रहता था जिसकी उस लड़की से अच्छी बातचीत होने लगी क्योंकि जहां पर गुरु के प्रेमी होते हैं वह अपने आप ही मिल जाते हैं या फिर मालिक उन्हें मिला देता है उनका प्रेम अपने आप ही बन जाता है तो ऐसे ही उनके पड़ोस में भी एक सत्संगी परिवार था जिससे उस लड़की की अच्छी बातचीत होने लगी और उसने सभी बात उनको बताई की मेरे ससुराल वाले मुझे सेवा पर जाने से रोकते हैं मुझे सत्संग में नहीं जाने देते वह परिवार एक अच्छा परिवार था उनका बहुत अच्छा बिजनेस था वह लड़की अक्सर उनके घर जाया करती क्योंकि साध संगत जी हमें वही लोग पसंद आते हैं जो हमारी तरह ही होते हैं वह एक सत्संगी परिवार था इसलिए वह अक्सर उनके घर जाती गुरु घर की बातें करती, कुल मालिक से जुड़ी बातें वह वहां पर करते और कुछ दिनों बाद उसके ससुराल वालों को कुछ पैसों की जरूरत पड़ गई उन्हें कुछ पैसे चाहिए थे तो उन्होंने सभी तरफ जाकर देखा लेकिन किसी ने भी उनकी मदद नहीं की जब यह बात उस लड़की को पता चली तो उसने वह बात उस सत्संगी परिवार से की जब उसने यह बात उनको कहीं कि हमारे घर में यह समस्या आई है हमें कुछ पैसों की जरूरत है मेरे ससुर जी ने काफी लोगों से मदद मांगी है लेकिन किसी ने भी उनकी मदद नहीं की तो ये बात सुनते ही उन्होंने उस लड़की की मदद करने का फैसला किया उन्हें जितने पैसे चाहिए थे उन्होंने उसे देने के लिए कहा साध संगत जी आप अक्सर देख सकते हैं कि जो रूहानियत से जुड़े होते हैं जो गुरु भाई होते हैं, सत्संगी होते है, वह एक दूसरे की मदद करने से पीछे नहीं हटते चाहे किसी भी तरह की मदद क्यों ना हो, वह मदद करने से पीछे नहीं हटते इसलिए उन्होंने उस लड़की की मदद करने की ठान ली और उन्होंने वह पैसे उस लड़की को दे दिए जब यह बात उसने घर आकर कहीं तो सभी घर वाले बहुत खुश हुए और उसके घर वाले समझ गए थे कि हमसे बहुत बड़ी भूल हुई कि हमने तुम्हें सेवा पर जाने से रोका, सत्संग पर जाने से रोका, हमें ऐसा नहीं करना चाहिए था और लड़की के घरवालों ने कहा कि अबकी बार हम भी तुम्हारे साथ सत्संग पर चलेंगे और जब वह पहली बार सत्संग सुनने गए तो पहले ही सत्संग ने उनके मन पर गहरा प्रहार किया, सत्संग सुनने के बाद उन्होंने नाम लेने की ठान ली कि हमें भी नाम लेना है हमें भी रूहानियत से जुड़ना है तो साध संगत जी ऐसे उस लड़की ने सभी परिवार को उस मालिक से जोड़ दिया उस मालिक के नाम से जोड़ दिया साध संगत जी इस साखी से हमें यही प्रेरणा मिलती है कि हमें किसी भी स्थिति में डोलना नहीं चाहिए कुल मालिक पर पूरा विश्वास होना चाहिए, मालिक कोई ना कोई रास्ता निकाल ही देता है । साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ,अगर आप साखियां, सत्संग और सवाल जवाब पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखियां, सत्संग और सवाल जवाब की Notification आप तक पहुंच सके ।
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