साध संगत जी आज की साखी संसार के दुखों पर आधारित है जिस को बयान करने के लिए सतगुरु नानक फरमाते हैं "नानक दुखिया सब संसार" तो आइए बड़े ही प्रेम से आज का यह प्रसंग सरवन करते हैं ।
साध संगत जी एक गुरु के प्यारे सिख संगत को गुरु वाणी की व्याख्या बता रहे थे और सभी संगत बड़े ही प्रेम प्यार से उनका सत्संग सुन रही थी और वह सत्संग में संसार के दुखों की चर्चा कर रहे थे कि इस संसार में कोई भी सुखी नहीं है जिसके पास सब कुछ है वह भी सुखी नहीं है और जिसके पास कुछ नहीं है वह भी इस बात को लेकर दुखी है कि उसके पास कुछ नहीं है और जिसके पास सब कुछ है वह इस बात को लेकर दुखी है कि उसके लिए कुछ और पाने के लिए रह न गया हो, तो इस संसार में अमीर भी दुखी है और गरीब भी दुखी है और यह संसार दुखों का घर है यहां पर कोई भी कभी बिना नाम सिमरन से जुड़े सुख नहीं पा सकता, आत्मा का सुख निरंकार से मिलाप है तो जब उनका सत्संग समाप्त हुआ तो कुछ साधु संत उनके पास आए और वह उनसे वार्तालाप करने लग गए कि आपने अभी फरमाया कि इस संसार में सभी कोई दुखी है कोई भी सुखी नहीं है लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है क्या इस संसार में सभी दुखी हैं ? क्या कहीं पर भी खुशी नहीं है और वह कहने लगे कि हम इस बात को नहीं मानते और यह वाक्य गलत है कि संसार दुखों का घर है और यहां पर कोई भी सुखी नहीं है तो उनके ऐसे वचन सुनकर आप जी ने फरमाया कि "नानक दुखिया सब संसार" और आप जी कहने लगे कि आप कोई ज्ञानी महापुरुष दिखाई पड़ते हैं तो उन साधु संतो ने कहा कि इसीलिए तो हम कह रहे हैं कि आपने जो कहा है वह गलत है आपने अपने सत्संग में जो भी फरमाया है वह गलत है उसका कोई अर्थ नहीं है साध संगत जी आप जी को साधु संतों के वचनों का कोई बुरा नहीं लगा लेकिन आपको इस बात का बुरा लगा कि उन्होंने सतगुरु नानक के शब्दों को गलत कहा और आप जी ने उनको जवाब देते हुए कहा कि जो सतगुरु नानक ने वाणी में फरमाया है वह कोई कल्पना नहीं है वह संपूर्ण सत्य है और अगर आपकी बात सत्य हो जाए तो सतगुरु नानक की वाणी कल्पना कैसे हो सकती है लेकिन नहीं जो भी सतगुरु नानक ने फरमाया है वही संपूर्ण सत्य है तो आप जी के वचन सुनकर उन्होंने कहा कि आप जो भी कह रहे हैं यह आपकी नानक देव जी के प्रति श्रद्धा है इसलिए आप ऐसा कह रहे हैं लेकिन नहीं, हम आपको कल इसका प्रमाण देंगे कि इस संसार में केवल दुख ही नहीं है सुख भी है और आप उसको कबूल भी कर लेंगे तो उसके बाद संत जी कहते हैं कि ठीक है आपको जैसा अच्छा लगे आप वैसा कीजिए लेकिन सतगुरु नानक ने जो फरमाया है वह संपूर्ण सत्य है आप जो साबित करने जा रहे हैं आप उसको साबित नहीं कर पाएंगे तो वह कहने लगे कि ठीक है फिर कल मिलते हैं पूरे प्रमाण के साथ और वह हंसकर वहां से चले गए लेकिन आप जी को चिंता में डाल गए और आप भी यह सोचने लगे कि पता नहीं यह कल क्या साबित करेंगे और आपको पूरी रात नींद नहीं आई और फिर जब अगली सुबह हुई तो आप जी गुरुद्वारा में संगत को सत्संग फरमा रहे थे तो एक घंटा बीत चुका था और आप उसी विषय पर सोच रहे थे कि पता नहीं आज वह क्या साबित करेंगे तो इतनी देर में आप जी को वह साधु संत आते हुए दिखाई दिए और उनके हाथ में गुलाब के फूल थे और गुलाब के फूलों को देखकर आप जी सोचने लगे कि यह साधु संत श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के प्रति श्रद्धा तो बहुत रखते हैं फिर यह ऐसे प्रश्न क्यों कर रहे हैं तो उन साधुओं ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के आगे माथा टेका लेकिन वह फूल श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को भेंट नहीं किए और वह उन गुलाब के फूलों को लेकर एक तरफ जाकर बैठ गए तो जब सत्संग समाप्त हुआ तो उन्होंने ज्ञानी जी से सवाल किया कि आपको हमारे हाथ में गुलाब का गुलदस्ता दिख रहा है तो आप भी फरमाने लगे कि प्रभु की कृपा से आंखों में रोशनी है जी हां ! मुझे आपके हाथों में गुलाब के फूलों का गुलदस्ता दिखाई दे रहा है तो वह साधु कहने लगे तो फिर आपको इनकी मुस्कुराहट भी दिखाई दे रही होगी और इनका सपना भी दिखाई दे रहा होगा तो ज्ञानी जी ने कहा जी हां बिल्कुल यह खुशी गुलाब के फूलों पर दिखाई दे रही है यह सुंदर हास्य गुलाब के फूलों पर दिखाई दे रहा है तो वह साधु संत कहने लगे की इसलिए हमने आपको कहा था कि इस संसार में केवल दुख ही नहीं है सुख भी है आपका यह जो वाक्य है "नानक दुखिया सब संसार" यह हर जगह सही नहीं हो सकता जब सामने इतना सुंदर हास्य हो तो क्या ये वाक्य कहना ठीक है ? इसलिए हम आपसे कह रहे थे कि यह संसार दुखों का घर ही नहीं बल्कि यहां पर सुख भी है सौंदर्य भी है तो उनके ऐसे वचन सुनकर ज्ञानी जी का मन हल्का हुआ और आप जी कहने लगे कि आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आपने जो कल मुझे कहा था आपने साबित कर दिखाया अब आप इन फूलों को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के आगे 12 घंटे के लिए भेट कर दें और आगे की चर्चा हम कल करेंगे तो उनकी यह बात सुनकर वह साधु संत कहने लगे कि आप क्या कह रहे हैं 12 घंटे में तो यह फूल मुरझा जाएंगे और गर्मी का मौसम है यह तो जल्दी ही मुरझा जाएंगे तो उनके यह वचन सुनकर ज्ञानी जी उसी समय जवाब देते हुए कहते हैं कि इनका मुरझाना क्या आसमान से आएगा इनका मुरझाना भी तो इनके हास्य से ही आएगा इनके खेड़े से ही आएगा, जैसे मौत जिंदगी से आती है यह जो कुरूपता है वह भी इसी स्वपन से निकलेगी यह जो कबर है इसी जिंदगी की बनेगी तो ज्ञानी जी के ऐसे वचन सुनकर उन साधु-संतों के मुंह से आह निकल गई और वह ज्ञानी जी के इस जवाब से संतुष्ट हुए तो उस दिन आप जी को ऐसा लगा कि मेरी भक्ति संपूर्ण हो गई तो उसके बाद उन साधु-संतों ने कहा की हे ज्ञानी जी ! मैं श्री गुरु नानक देव जी के फरमाए हुए इन शब्दों को कबूल करता हूं और इन शब्दों के खिलाफ बोले गए शब्दों को वापस लेता हूं, साध संगत जी इसीलिए सतगुरु ने वाणी में फरमाया है "नानक दुखिया सब संसार" मूर्ख का दुखी होना तो कुदरती है लेकिन समझदार भी दुखी है गरीब का दुखी होना कुदरती है लेकिन धनवान भी दुखी है साध संगत जी यह पाया गया है कि निर्धन देश इतने दुखी नहीं है जितने की धनवान देश दुखी है इसीलिए निर्धन इतना दुखी नहीं जितना धनवान दुखी है और मूर्ख इतना दुखी नहीं जितना कि समझदार दुखी है क्योंकि मूर्खता करने वाले व्यक्ति को एहसास नहीं होता कि उसने क्या मूर्खता की है और समझदार अपनी गलती को समझ लेता है इसीलिए वह दुखी होता है कमजोर भी दुखी है और ताकतवर भी दुखी है निर्बल भी दुखी है और बलवान भी दुखी है करूप भी दुखी है और सुंदर भी दुखी है छोटा भी दुखी है और बड़ा भी दुखी है यह इसलिए हो रहा है क्योंकि इंसान संतुष्ट नहीं है गरीब अमीर होना चाहता है और अमीर और अमीर होना चाहता है दुर्बल ताकतवर होना चाहता है और ताकतवर और ताकतवर होना चाहता है करूप सुंदर दिखना चाहता है और सुंदर और अधिक सुंदर दिखना चाहता है इसलिए सतगुरु नानक फरमाते हैं "नानक दुखिया सब संसार" साध संगत जी आप इस विषय पर क्या सोचते हैं कृपया अपने अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं ।
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By Sant Vachan
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