नाम लेने के बाद व्यक्ति के अंदर शक्ति का परवाह होने लगता है शक्ति उत्पन्न होने लगती है, जैसे लोहे के टुकड़े को किसी चुम्बक से स्पर्श करने से उसमे आकर्षण शक्ति आ जाती है ।
वैसे ही जो साधारण मनुष्य भी स्वयं को "सतगुरु नाम" से जोड़ देता है तो उसमें भी एक प्रकार की प्राकृतिक आकर्षण शक्ति उत्पन्न हो जाती है जिसके परिणाम स्वरूप सभी पदार्थ अथवा लोग वहां स्वयं खिचे चले आते हैं ।
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