जब हम सिमरन करते हैं हमारे अंदर कई बार आँख बंद करने पर अँधकार हो जाता है लेकिन हमे उससे कभी घबराना नही चाहिये, बल्कि मालिक का शुक्रिया अदा करना चाहिए ।
क्योंकि जितनी बार हम सिमरन पर बैठते है उतनी बार हमारे कर्मो के गंदे गिलाफ उत्तरते है और सिमरन एक ऐसी आग है जो सभी कर्मो को जलाकर नष्ट कर देती है और हमारे अंदर रौशनी और प्रकाश पैदा करती हैं इसलिए कभी भी हमें सिमरन भजन से मुँह नही मोडना चाहिए क्योंकि उस परमात्मा के घर जाने का एकमात्र रास्ता सिमरन भजन ही है ।
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