साध संगत जी आज की साखी है कि जब बाबर के सैनिकों ने सतगुरु नानक और भाई मरदाना जी को हथकड़ियां पहना दी उन को बंदी बना लिया और जब बाबर को इस बात की खबर हुई, तो क्या हुआ आइए बड़े ही प्रेम और प्यार के साथ आज का ये प्रसंग सरवन करते हैं ।
साध संगत जी सतगुरु नानक धर्म का प्रचार करते हुए जब भाई मरदाना जी के साथ सैदपुर पहुंचे जिसको ऐमनाबाद भी कहा जाता है तो वहां पर यह खबर पहुंची कि बाबर काबुल पर जीत हासिल कर वहां पर चढ़ाई कर इस तरफ़ आ रहा है तो यह खबर सुनकर वहां पर लोग डर के कारण बहुत घबरा गए तो वहां पर सतगुरु नानक ने लोगों को निडर होकर इस मुश्किल की घड़ी का सामना करने का उपदेश दिया सभी लोगों ने बड़े ही प्रेम और सम्मान से सतगुरु का उपदेश सुना और उनके आगे नतमस्तक हुए तो सतगुरु वहां पर कुछ देर ठहरे और उसी समय में बाबर ने वहां पर हमला कर दिया सभी तरफ लूटमार होने लगी लोगों को मारा जाने लगा वहां पर हालत बहुत खराब हो गई हर तरफ कत्लेआम होने लगा और तबाही मच गई और इस युद्ध में जो बच्चे, बुजुर्ग और स्त्रियां बच गई उनको बाबर की सेना ने कैदी बना लिया और उन सभी को लेकर चल पड़े तो इसी बीच सतगुरु नानक और भाई मरदाना जी को भी कैदी बना लिया गया उनको भी हथकड़ियां पहना दी गई तो कैदियों के सिर ऊपर लूटमार का सामान रखवा दिया गया और बाबर की फौज लाहौर की तरफ चल पड़ी तो वहां पर औरतों के ऊपर हुए जुलम को लेकर सतगुरु नानक ने शब्द का उच्चारण किया तो सतगुरु की वाणी को सुनकर वहां पर मौजूद कैदियों को लगा कि उनके दुख दूर करने वाला आ गया है तो जब बाबर को इस बात की खबर हुई कि कैदियों में एक संत भी है तो बाबर की सतगुरु नानक से मिलने की इच्छा प्रगट हुई तो जब बाबर की मुलाकात सतगुरु नानक से हुई तो मुलाकात के दौरान बाबर ने अपना शीश झुकाकर सतगुरु नानक को प्रणाम किया और कहां कि अगर मेरे लायक कोई सेवा हो तो मुझे बताओ जी तो सतगुरु ने बड़े ही प्रेम पूर्वक अपने मुख से वचन किए कि इन कैदियों को रिहा कर दो और इनका लूटा हुआ सामान वापस कर इन्हें घर वापस भेज दो तो गुरु जी के वचनों से बाबर इतना प्रभावित हुआ कि उसने गुरुजी की बात मानकर कैदियों को रिहा कर दिया तो वहां पर सतगुरु ने उपदेश दिया कि हमें अपने थोड़े से लाभ के लिए कुदरत की बनाई हुई दुनिया को उजाड़ने का कोई हक नहीं है और सतगुरु नानक ने कहा कि कभी भी जोर और जबरदस्ती से किसी को जीता नहीं जा सकता जबकि प्रेम से सब के दिलों पर राज किया जा सकता है, साध संगत जी बाबर के साथ वहां पर मौजूद लोग भी सतगुरु की वाणी से और सतगुरु के उपदेश से बहुत प्रभावित हुए जितने भी दिन सतगुरु वहां पर रहे सभी ने मिलजुल कर सतगुरु नानक की सेवा की और सभी का सतगुरु नानक से गहरा प्रेम पड़ गया वहां के लोगों का सतगुरु नानक से इतना गहरा प्रेम पड़ा कि वह सतगुरु नानक को अपने गांव से जाने नहीं दे रहे थे तो उन सभी के प्रेम को देखकर सतगुरु नानक कुछ और देर वहां पर रुके और सतनाम का कीर्तन होता रहा जब भी सतगुरु वाणी उच्चारण किया करते थे तो वहां पर इतना रस उत्पन्न होता था कि सभी मंत्रमुग्ध हो जाया करते थे साध संगत जी भाई मरदाना जी के रबाब और सतगुरु नानक के मुख से निकले हुए वचनों को सुनकर सभी पर सतगुरु नानक का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा तो ऐसे सतगुरु कितने दिन वहां पर रहे, नाम कीर्तन होता रहा सतगुरु ने वहां पर रहकर लोगों को करतार से जुड़ने का उपदेश दिया, सतनाम से जुड़ने का उपदेश दिया तो सभी ने सतगुरु नानक के इस उपदेश को अंदर धारण किया और उस पर अमल किया तो ऐसे वहां पर मौजूद सभी लोगों ने नाम कीर्तन से जुड़कर और सतगुरु के सच्चे उपदेश को सुनकर मालिक की महिमा जानी, सतनाम की महिमा जानी साध संगत जी वहां के लोग सतगुरु नानक को वहां से जाने नहीं दे रहे थे लेकिन सतगुरु नानक हम जैसे बहुतों का उद्धार करने के उदेष्य से इस जगत में आए हुए थे और सतनाम का होका देने आए हुए थे तो अपने इसी उद्देश्य को मुख रखकर सतगुरु नानक ने वहां से प्रस्थान किया और जगत के कल्याण के लिए अपनी अगली यात्रा के लिए भाई मरदाना जी के साथ आगे चल पड़े तो साध संगत जी ऐसे सतगुरु ने पता नहीं कितनों का उद्धार किया और लोगों को सही रास्ता दिखाया सत्य का मार्ग दिखाया, साध संगत जी सतगुरु जहां भी जाया करते थे वहां पर लोग प्रेम के गहरे तल पर सतगुरु नानक से जुड़ा करते और जब सतगुरु नानक वहां से प्रस्थान करते तो वह उस बिछोडे को सहन ना कर पाते और सतगुरु को रुक जाने के लिए कहते साध संगत जी जब शिष्य के अंदर गुरु के प्रति ऐसी तड़प पैदा हो जाए तो उसका मिलाप अकाल पुरख से जरूर हो जाता है क्योंकि इसकी जिम्मेदारी गुरु की हो जाती है जो गुरु से एक गहरे तल पर प्रेम पूर्वक जुड़ जाता है उसका परमात्मा से मिलाप अवश्य होता है और जिसको गुरु का आशीर्वाद मिल जाता है जिस पर गुरु की कृपा हो जाती है उसको रूहानियत के इस मार्ग पर ज्यादा संघर्ष करने की जरूरत नहीं पड़ती गुरु की कृपा से और गुरु के आशीर्वाद से उसकी बात जल्दी ही बन जाती है उसका जन्म मरण के इस चक्कर से छुटकारा हो जाता है और उसका परमात्मा से मिलाप हो जाता है परम मुक्ति उसको प्राप्त हो जाती है, साध संगत जी जब अपने शिष्य पर गुरु आंख भर कर देख ले मेहर की नजर से उसको निहार ले उसको उसी समय लो हो जाती है उसकी लिव परमात्मा से तुरंत ही जुड़ जाती है इसलिए जीवन में गुरु का मार्गदर्शन बहुत जरूरी है गुरु का हाथ बहुत जरूरी है बिना गुरु के उससे मिलाप नहीं हो सकता, मुक्ति प्राप्त नहीं हो सकती, एकमात्र गुरु ही मुक्ति का साधन है, गुरु ही सहारा है ।
साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर कीजिए, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके ।
By Sant Vachan
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