जब तक अंदर पर्दा नहीं खुलता तब तक बाहर गुरु के दर्शन बहुत जरूरी है क्योंकि बिना गुरु के दर्शन किए उसका ध्यान नहीं होता और बिना उसके ध्यान के उस तक पहुंचा नहीं जा सकता ।
उससे मिलाप नहीं किया जा सकता सतगुरु अर्जुन देव जी का कथन है "बिनु गुर दीखिआ कैसे गिआनु बिनु पेखे कहु कैसो धिआनु" गुरु के दर्शन के बिना उसका ध्यान कर सकना संभव नहीं और उसके उपदेश के बिना परमेश्वर के साथ मिलाप कर सकना असंभव है ।
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