आज का रूहानी विचार ।। Spiritual Thought of the day

 

साध संगत जी मोहम्मद साहब की जिंदगी का एक असूल था कि वह सब कुछ जरूरतमंदों में बांटकर और खाली होकर सोया करते थे उन्होंने कभी भी कुछ भी इकट्ठा नहीं किया ।

दिन भर जो भी उनके पास इकठ्ठा होता था वह सब बांट दिया करते थे और कल की फिकर उस खुदा पर छोड़ देते थे और मोहम्मद साहब कहते हैं कि मैंने कभी कल की फिकर नहीं की, सिर्फ खुदा पर भरोसा रखा और आप जी ने अंतिम समय कहा था की हे खुदा ! मेरा तो केवल तू ही आसरा है तेरे सिवाय मैंने किसी और पर भरोसा नहीं रखा साध संगत जी जिसे परमात्मा पर भरोसा हो जाता है उसे किसी और पर भरोसा रखने की जरूरत नहीं होती ।

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