दुनिया के हर काम के लिए समय है लेकिन भजन के वक़्त तकलीफें सबसे ज्यादा याद आती हैं घुटने भी भजन के वक़्त ही ज्यादा दुखते हैं दुनिया भर की फिक्रें भी तभी याद आती है दुनिया के सारे जरूरी काम भी तभी याद आते हैं तभी तो संत हमेशा अपने सत्संगो में फरमाते हैं "सब जग अपना इक राम पराया"
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