आज का रूहानी विचार ।। Spiritual Thought of the day

 

गुरु से सच्चा प्रेम करने का मतलब है ख़ुद को पूरी तरह से मिटाना ताकि बस वही रह जाए ।

इसके लिए हमें "मैं हूँ" के बजाय "मैं नहीं हूँ" की अवस्था में आना होगा, संत कबीर जी ने कहा है, "जब मैं था तब गुरु नही था, अब गुरु है हम नाहिं" सतगुरु नानक भी यही फ़रमान करते है "तेरा, तेरा, तेरा" यानी सब कुछ तेरा है ।

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