आज का रूहानी विचार ।। Spiritual Thought of the day

 

गुरु के दिए हुए नाम का एहसास हमें तब होगा जब अंदर हमसे हिसाब किताब किया जाता है और सतगुरु आकर हमें काल की नगरी से छुड़ा ले जाते है ।

साध संगत जी, एक साधू रास्ते से जा रहा था, तो उसको एक भीड़ दिखाई दी, उसने आगे जाके देखा कि वहां एक मदारी एक बन्दर को हंटर मार-मार के नचा रहा था और छड़ी मार कर बैठने को कह रहा था ये देख साधू को दया आ गयी और उसने मदारी से कुछ रुपए में उस बन्दर को खरीद लिया और आज़ाद कर दिया, साध संगत जी अब इस कहानी का सार ये है कि हम लोग उस बन्दर की तरह हैं जो काल रूपी मदारी के आगे नाच रहे हैं और अपने कर्मो का हिसाब किताब दे रहे हैं, सिर्फ़ एक सतगुरु ही है जो हमे काल से बचा कर इस भवसागर से पार करा देता है ।

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