"मन मारै तन बस करे साधै सकल शरीर
फिकिर फारि कफनी करै ताको नाम फकीर"
संत महात्मा कहते है कि मन को काबू मे करने का सबसे आसान तरीका है कि उसकी इच्छाओं को मार कर शरीर को साधना के द्वारा वश में करना और जो मनुष्य मन की इच्छाओं को मार कर शरीर को साधना के द्वारा वश में कर ले, फिक्र को फाड़कर कफन बना ले, उसी को फकीर कहते हैं अर्थात जो मन के आधीन न होकर मन को अपनें आधीन रखता है, जो शरीर को सुखों का आदी नहीं बनाता बल्कि कष्ट सहनें की आदत डालता है और जो इच्छायें न होनें के कारण चिन्ताओं से मुक्त हो जाता है, उसी का नाम फकीर होता है ।
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