Guru Nanak Sakhi । जब गांव वालों ने सतगुरु नानक के खिलाफ़ मुकदमा कर दिया तो क्या हुआ ?

 

गुरु प्यारी साध संगत जी राय बुलार के वारिसों ने जमीन के लालच में आकर अदालत में मुकदमा कर दिया कि हमारे बुजुर्ग राय बुलार का दिमाग उस समय सही नहीं था जब उसने अपनी आधी जमीन सतगुरु नानक के नाम लगाई थी अब वो जमीन हमें मिलनी चाहिए तो उसके बाद क्या हुआ आइए बड़े ही प्रेम और प्यार के साथ आज का यह प्रसंग सरवन करते हैं ।

साध संगत जी राय बुलार खान साहिब के साथ सतगुरु नानक देव जी की एक सांझ का जिक्र साखियों में नहीं आता, बहुत बड़ी घटना हुई थी लेकिन साखियों में दर्ज नहीं की गई थी यह साखी गुरु नानक गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज ननकाना साहिब के ठेकेदार ने सुनाई है इस तरह हुआ कि 10 अप्रैल 1993 को उसने ननकाना साहिब में माथा टेका कीर्तन सुना और लंगर ग्रहण किया तो उसने सोचा कि मुसलमान भाई चारों के साथ बैठता हूं उनसे बातें करूं क्योंकि यहां पर कोई कॉलेज तो होगा नहीं लेकिन स्कूल जरूर होगा तो किसी मास्टर से मिला जाए उससे बात की जाए तो उसने एक पुलिस ऑफिसर को कहा कि मैं प्रोफेसर हूं और मैं किसी मास्टर जा प्रोफेसर से मिलना चाहता हूं तो डीएसपी ने कहा कि इधर कुछ ही दूरी पर एक कॉलेज है उस तरफ चले जाओ तो वह चलता गया और कॉलेज के नजदीक पहुंच गया तो वहां पर अंग्रेजी और उर्दू भाषा में लिखा हुआ था गुरु नानक गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज ननकाना साहिब तो वह अंदर गया तो वहां पर चौकीदार ने सलाम की तो उसने कहा कि यहां पर कोई प्रोफेसर है तो चौकीदार ने कहा जी बिल्कुल है ! अंदर इम्तिहान हो रहे है वह सभी अपनी अपनी ड्यूटी पर हैं अगर आपको कोई जरूरी काम है तो मुझे बता दो मैं उनको बुला कर ले आता हूं तो उसने कहा कि काम तो कोई नहीं है मैं कुछ देर बाद फिर आऊंगा तो इतना कहकर वह वापस चल पड़ा तो एक साडे 6 फुट लंबा एक बुजुर्ग सलवार कमीज दस्तार पहनी उसकी तरफ बढ़ा तो उसने तुरंत ही उससे मुलाकात की और कहा कि सरदार जी आप वापस क्यों जा रहे है मैंने जब आपको देखा तो मैंने लेबर को तुरंत छुट्टी दे दी मैं ठेकेदार हूं और लड़कों के लिए हॉस्टल बना रहा हूं आइए आप मेरे साथ बैठे, कुछ बातें करते हैं तो दो तीन कुर्सियां मंगवा ली गई कोई भी मजदूर घर नहीं गया सभी उनके इर्द-गिर्द बैठ गए तो बातों के दौरान उसने पूछा कि गुरुद्वारा साहिब के नाम पर यहां पर कितनी जमीन है तो उस बुजुर्ग ने कहा कि आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं आपको यहां रहने खाने पीने में कोई दिक्कत आई है तो उसने कहा कि कोई दिक्कत नहीं आई है यह मेरे बाबा नानक का जन्म स्थान है तो क्या मुझे इतना भी पूछने का हक नहीं, तो उसने कहा बिल्कुल नहीं फिक्र करने का हक बड़े लोगों का है हमारा और आपका हक बंदगी करने का है हजरत बाबा नानक अल्लाह सलाम हमारा फिक्र करता है तो उसने कहा ठीक है तो उसके बाद उसने कहा कि अच्छा आप मुझे यह बताएं कि मुझे यह जानने का हक तो है कि ये कितनी जमीन है ? तो उसने कहा कि जी बिल्कुल आपको जानने का हक जरूर है तो उसने कहा कि साढ़े 7 सौ मुरब्बा जमीन गुरुद्वारे के नाम पर है तो फिर उसने पूछा कि यह जमीन महाराजा रणजीत सिंह ने लगवाई थी तो उस बुजुर्ग ने कहा कि बिल्कुल नहीं इतनी जमीन किसी महाराजे ने गुरुद्वारे के नाम पर नहीं लगवाई यह हमारे भट्टियों के सरदार ने लगवाई थी तो उसने फिर पूछा कि भट्टियों का सरदार कौन था ? तो उसने कहा कि आप हमारे सरदार को नहीं जानते ? यहां पर 50 गांव में बच्चे बच्चे को उसका और बाबा नानक का पता है उसका नाम था राय बुलार खान साहब यहां पर भट्टियों के बहुत गांव हैं आपने उनका नाम नहीं सुना तो उसने कहा कि इस सरदार का नाम तो हमारे कण-कण में बसा हुआ है लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि राय साहब भट्टी थे तो यह सुनकर ठेकेदार ने कहा कि जी हम भट्टी आम नहीं है मैं भी भट्टी हूं सारे जहान के मालिक गुरु बाबा नानक को हमारे सरदार राय साहिब जी ने ही सबसे पहले पहचाना था जब सतगुरु बचपन में थे तब ही उनकी पहचान कर ली थी अब आप जमीन की बात सुने, राय साहिब 1500 मुरब्बा का खुद्दार और एक रईस इंसान था वह नेक आदमी था और उसकी उम्र 40 से अधिक हो गई थी लेकिन औलाद नहीं थी और वह अपने घोड़े पर सवार होकर अपनी ज़मीन का दौरा करने गया तब सतगुरु की उम्र कुछ 12 साल की थी तो सतगुरु गाय भैंस चार रहे थे तो राय साहब घोड़े से उतरे और जोड़े उतारे और बाबा जी के नजदीक हाथ जोड़कर खड़े हो गए और कहा कि बाबा मेरी मुराद पूरी कर कि मेरे घर में भी औलाद हो मेरे घर में भी बच्चा खेले यह अर्जी लेकर वह सतगुरु के पास गए थे तो सतगुरु ने आशीर्वाद दिया और कहा कि आपकी मुराद पूरी होगी और कोई शक ना करना तो 1 साल के बाद राय साहिब के घर बेटे का जन्म हुआ तो वह इतना खुश हुआ कि उसने बड़ी दावत दी और उस दावत में नवाब दौलत खान साहब खुद आए थे हाजिरी लगाने के लिए, बहुत बड़ी मात्रा में लोग उस दावत में आए थे तो सतगुरु का शुकराना करके राय साहिब ने अपनी आधी जमीन हजरत बाबा नानक के नाम इंतकाल तब्दील करने का एलान किया तब साढ़े सात सौ मुरबे सतगुरु के नाम हुए जो अब तक सतगुरु के नाम पर ही चलते आ रहे हैं लेकिन हमारे दिमाग में यह बात आ गई कि मालिक हम हैं काबज हम हैं काश्तकार हम हैं लेकिन नाम हमारा रिकॉर्ड में बोलता नहीं, हमने इस जमीन के ऊपर कब्जे पुष्टों से किए हुए हैं 100 किल्ले जमीन गुरुद्वारे के लिए बची हुई है बाकी बची हुई जमीन पर भट्टी खेती करते हैं हमने शेखपुरा अदालत में मुकदमा दायर कर दिया की पिछली उम्र में हमारे बुजुर्गों के बुजुर्ग राय साहिब का दिमाग हिल गया था उसने आधी जमीन एक फकीर बाबा नानक के नाम करवा दी लेकिन उसके हकदार हम हैं हम काबज और काश्तकार भी खुद है यह इंतकाल हमारे नाम पर तब्दील होना चाहिए तो ऐसे ही 4 साल मुकदमे की कार्रवाई चली और फिर फैसले की तारीख आई तो फैसला हमारे खिलाफ हुआ और कहा गया कि इंतकाल तब्दील नहीं किया जा सकता तो हमने लाहौर हाई कोर्ट में अपील दायर कर दी तो तीन-चार साल वहां पर सुनवाई होती रही तो वहां से भी यही सुनने को मिला कि इंतकाल तब्दील नहीं किया जा सकता, अपील खारिज दाखिल दफ्तर हमने सुप्रीम कोर्ट इस्लामाबाद अपील दायर की तो 3 साल सुनवाई हुई तो जब वहां पर फैसला सुनाने की बात आई तो कोर्ट ने कहा कि अपने साथ तीन-चार मोहतवार आदमी लेकर आना लेकिन वकीलों को लेकर नहीं आना कोई जरूरी बात करनी है तो हमने पूछा कि आपको क्या बात करनी है हमें बताएं ताकि हम उसी हिसाब से तैयारी कर कर आए तो जजों ने कहा कि आपने यह काम कर कर अच्छा नहीं किया यह हमें बताना है तो 1 महीने के बाद तरीक डाल दी गई गांव के गांव इकट्ठे हुए और उनमें से आठ मोहतवार चुने गए जो अदालत में जाएंगे और बात करेंगे तो जब तरीक आ गई सैकडों आदमी अदालत के बाहर आ गए तो जब हमारी बारी आई तब हम दाखिल हुए उनमें से एक मैं भी था तो जजों ने अदालत 1 घंटे के लिए मुल्तवी कर दी और हमें पिछले कमरे में ले गए और वहां जाकर बात की तो जजों ने कहा कि हमने बहुत बारीकी से केस को देखा है और समझा है आपने गलत काम किया है गलत काम को अंजाम दिया है जिन फकीरों के ऊपर आपने मुकदमे दायर किए है उनसे मुरादे मांगते तो ठीक था वह नेक इंसान जिनकी बदौलत आपने दुनिया की रोशनी देखी आपने उन पर मुकदमे किए है दिमाग हिल जाने वाले मुकदमे लगाए है, सरदार राय साहिब और खान साहब का दिमाग आधा तो कायम रहा जो आधी जमीन बचा ली और जिस फकीर के नाम पर आधी जमीन का इंतकाल करवाया उसने तो कभी इस जमीन की तरफ देखा भी नहीं और न ही उसकी औलाद ने इस जमीन के ऊपर कभी हक जताया और सिखों ने तो कभी ये जमीन रोकी नहीं और ना ही अदालतों में दावे किए आपने पुष्टो से ही इस जमीन पर कब्जे किए हुए हैं और अब अदालतों में दावे किए हैं आप 10, 12 सालों से बड़ों की बेअदबी करते आए हो और किसी ने अक्ल नहीं दी कि गुनाह ना करो, जमीन से अधिक वह तुमसे प्यार करते थे आप अंदर से नफरत करते हो और जमीन के साथ प्यार डाल लिया है जमीन तो आपके पास ही रहेगी, मुकदमा ना करते तो ठीक होता तो हमने कहा कि जी जमीन तो हमारे नाम पर ही है, लेकिन रिकॉर्ड में हमारा नाम नहीं तो जजों ने कहा कि नाम नहीं रहेगा ना आपका और ना ही हमारा नाम रहेगा, अल्लाह परवर दीदार का नाम रहेगा उसकी बंदगी करने वाले दरवेशो का नाम रहेगा वही इन चांद तारों के मालिक हैं वही रहेंगे और कोई नहीं रहेगा और हमारी आपको यही सलाह है कि आप मुकदमा वापस ले ले तो वह कहने लगे कि हमने कहा कि बाहर हमारा भाईचारा मौजूद है हम उनसे सलाह कर ले तो जजों ने कहा कि जरूर करो अब 11:30 हुए हैं आप शाम के 4:00 बजे तक सलाह कर ले और अगर आपने मुकदमा वापस नहीं लिया तो फिर हम फैसला सुना देंगे अदालत के बाहर हमने यह एक सलाह आपको दी है आप उस सलाह को मानने के पाबंद नहीं हो, फैसला शाम को सुनाया जाएगा तो वह कहने लगे कि हम बाहर आ गए भाईचारा हमें उडीक रहा था तो सारी बात उनको बताइ, सोचा बिचारा और आखिर में फैसला हुआ की दो में से एक का चुनाव करना है की अपील वापस लेनी है या फिर मुकदमा हारने की उड़ीक करनी है जज की बातों से इतना अंदाजा हो गया था कि जीतने का सवाल ही पैदा नहीं होता तो हम सभी ने मुकदमा वापस लेने का फैसला किया तो शाम के 4:00 बजे हमने हाजिर होकर अपनी अपील वापस ले ली और वह बुजुर्ग कहने लगा कि सरदार जी हम बच गए अगर अपील वापस नहीं लेते तो हमने हारना था दुनिया भी जानी थी और दीन भी जाना था लेकिन दोनों बच गए अगली दरगाह में दरवेशों के सामने खलो कर गुनाहों की माफी मांगने लायक रह गए वह बहुत रहम दिल है जी, अपनी औलाद की गलतियां माता-पिता बक्श दिया करते हैं और वह बुजुर्ग उनसे कहने लगे कि देखो भाई साहब हजरत बाबा नानक जी कितनी ताकतों के मालिक हैं, सदियां बीत गई है लेकिन नेकी करने का हुक्म किसी ना किसी जरिए पहुंचा रहे हैं सुप्रीम कोर्ट को कहा कि इनको गलत रास्ते मैं पड़ने से रोको, तो सुप्रीम कोर्ट ने रोका बाबाजी ने सुप्रीम कोर्ट से हमारी हद नहीं करवाई हमें वर्जा भी और इज्जत भी हमारी रख ली सच में हज़रत बाबा नानक को लाख-लाख सलाम है साध संगत जी आज भी माल रिकॉर्ड के अनुसार उस ज़मीन में गुरु बाबा नानक खेती करते हैं, साध संगत जी इसी के साथ आज के इस प्रसंग की समाप्ति होती है जी प्रसंग सुनाते हुई अनेक भूलों की क्षमा बक्शे जी ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर कीजिए, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके । 

By Sant Vachan


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