परमात्मा और सतगुरु से अधिक, जीव का सच्चा हितेषी, और कोई नहीं है, वह जो भी सुख-दुख भेजते हैं, जीव के सच्चे रूहानी लाभ के लिए भेजते हैं, हमारी समझ अधूरी है, इसलिए हम दुख में घबरा जाते हैं ।
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