साध संगत जी गीता में फरमाया गया है जो व्यक्ति अपनी इंद्रियों पर काबू पा लेता है ।
वह समस्त राग तथा द्वेष से मुक्त और अपनी इन्द्रियों को संयम द्वारा वश में करने वाला समर्थ व्यक्ति बन जाता है और उस कुल मालिक की पूर्ण कृपा प्राप्त कर पाता है ।
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