मन लगे या न लगे पर बैठो, बैठना जरूरी है, हमें सतगुरु ने कहा है कि आप बैठो, हमारा काम है बैठना, मन लगे, न लगे,
वह सब मालिक पर छोड़ देना है, हमारे बैठने को भी मालिक भजन-सुमिरन मानने को तैयार है तो क्या हमें बैठने में भी इतनी तकलीफ है क्या हम घंटा आधा घंटा बैठ भी नहीं सकते ।
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