वह दिल मुबारक है जो सतगुरु की विरह की अग्नि में तप रहा है ऐसे जीव के दिल की जमीन पर जब सतगुरु की रहमत भरी बारीश होती है ।
तब यहाँ रँग-बिरंगे फूल खिल उठते है वहाँ सतगुरु की याद में गिरे आँसूओं से ही यह रूहानियत के फूल खिल उठते है इसलिए विरह रूपी सच्चे प्रेम का ही दर्जा सबसे ऊँचा माना गया है ।
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