सुमिरन में मन न लगने की सबसे बड़ी एक ही रुकावट है, हम जब भी सुमिरन पर बैठते हैं या तो जो बीत चुका (भूतकाल) है उसी का ध्यान करते हैं, या तो जो होने वाला (भविष्य) है ।
उसके बारे में सोचते हैं, जिस दिन हम वर्तमान में बैठकर सिर्फ वर्तमान का ही (सतगुरु) ध्यान करें तो हमारी आत्मा जल्दी ही ऊपरी मंडलों में जा पायेगी और अपना रुहानी सफ़र सफल कर पाएगी ।
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