मालिक के आगे ये अरदास करनी चाहिए कि हे मालिक ! तेरा शुक्र है कि तूने मुझे इस काबिल समझा और मुझे इतना कुछ दिया
क्योंकि संत जन फरमाते है कि असल इबादत तो वो है, जिसमे जो भी मिल रहा है, उसका हर पल शुकराना ही शुकराना किया जाए...! शुक्र है दातेया, आपने जो भी दिया, हम तो उसके भी काबिल नहीं थे ।
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