आज का रूहानी विचार ।। Spiritual Thought of the day

 

गुरु की मेहर तो हर समर बरसती रहती है जैसे बादलोँ मे बरसात समायी रहती है हमेँ पता ही नहीँ होता कब और कहाँ बरस जाऐगी ऐसे ही कब और किस पर उनकी मेहर हो जाऐ हमे भरोसा होना चाहिऐ,



जिस पर गुरु की मेहर होती है उसे कभी भी ये नही सोचना चाहिए कि वह अकेला है क्योंकि सतगुर हमारे साथ हैँ "सतगुर होऐ दयाल ताँ कदे न झुरिऐ, सतगुर होऐ दयाल ताँ क्षर्दा पूरियाँ"

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