सतगुरु फरमाया करते थे, बच्चों में अहंभाव नहीं होता है, उसे किसी चीज़ का मोह नहीं होता, हम चाहे उसे पत्थर का छोटा-सा टुकड़ा पकड़ा दें या हीरा,
वह उसी से खेलने लग जायेगा, क्युंकि बच्चा मासूम होता है, जो कोई उससे प्यार करता है, वह उसी का हो जाता है, उसमें हौमें नहीं होती, हमें भी छोटे बच्चों जैसे भोले और निष्कपट बनना चाहिए अपने अन्दर से हौमें की बीमारी को दूर करना चाहिए, हमें विनम्र बनना चाहिए और छोटे बच्चों की तरह, जो कुछ भी प्रारब्ध में मिले, उसे ख़ुशी-ख़ुशी स्वीकार कर लेना चाहिए ।
ऐसे ही रूहानी विचार रोजाना सुनने के लिए, नीचे अपनी E- Mail डालकर, वेबसाइट को सब्सक्राइब कर लीजिए ताकि हर नई पोस्ट की नोटिफिकेशन आप तक पहुंच सके ।
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box.