Guru Arjan Dev ji ki Sakhi । जब सतगुरु की मुलाकात एक महान जादूगरनी से हुई तो क्या हुआ ?

 

साध संगत जी आज की साखी सतगुरु तेग बहादुर जी के समय की है जब सतगुरु की मुलाकात एक जादूगरनी से हुई और जादूगरनी ने सतगुरु को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की तो क्या हुआ आईए बड़े ही प्रेम और प्यार के साथ आज का ये परसंग सरवन करते है ।

साध संगत जी, सतगुरु तेग बहादुर जी भाई मिया को आर्शीवाद देने के बाद कुरुक्षेत्र आदि स्थानों से होते हुऐ मानकपुर पहुंचे वहां पर वेशनू माता का एक भगत एक साधू रहता था और उसका नाम मलूकचंद था तो गांव के किसी एक व्यक्ति ने उसे जाकर बताया कि महात्मा जी क्या आप जानते है की गुरू नानक देव जी के नौवें सवरूप श्री गुरू तेग बहादुर जी गांव में पधारे है सभी उनके दर्शनों के लिए पहुंच रहे है तो ये सुनकर वह साधू बोला की ये तो बहुत बढ़िया बात है मैं भी उनसे जरूर मिलुगा तो गुरु के दर्शन पर जाने से पहले उन्हें किसी ने कहा की हे मलूकचंद ! श्री गुरु तेग बहादुर जी अस्त्र और शस्त्र धारी है और आप इसके खिलाफ है क्या आप फिर भी उनके दर्शन करने के लिय जायोगे, तो ये सुनकर मलूकचंद सोच में पड गया और सोचने लगा कि अब मैं क्या करू, तो इस विचार में म्लूकचंद की दर्शन करने की लालसा ठंडी पड़ गई और वह सोचने लगा कि मैं पूरी जिंदगी अहिंसा के मार्ग पर चला और अहिंसा ही मेरे लिए सबसे बड़ा धर्म है और वह सोचने लगा की मैं अपनी विचारधारा के खिलाफ़ जाकर क्यों उस व्यक्ति से मिलूं जिसके पास अस्त्र शस्त्र है उसकी इसी सोच ने गुरु के दर्शन करने का निर्णे वापिस ले लिया वह साधू हर रोज़ पूजा पाठ करता था तो उसने अगली सुबह भी हर रोज़ की तरह थाली सजाई परंतु जैसे ही उसने अपने इष्ट देव को भोग लगाने के लिए कपड़ा हटाया तो उस थाल में उसे मांस दिखाई दिया तो मांस देखकर वह विचलित हो गया तो वह हैरान हो गया की पूजा की थाली में मांस कहा से आया तो उसने तुंरत उसे फेंका और अपने इष्ट देव की पूजा करने के लिए फिर नई थाल सजाई तो उसने फिर भोग लगाने के लिए कपड़ा हटाया परंतु उसे फिर वह प्रसाद मांस ही दिखने लगा, तो साध संगत जी मलूकचंद को कुछ भी समज नही आ रहा था तो वह दुखी होकर ध्यान में बैठ गया, ध्यान में लीन हो गया तब उसे अपनें इष्ट देव की आवाज़ आई कि म्लूक तेरी भक्ती संपूर्ण हुई है क्या तूं नहीं जानता की सभी अवतारी पुरष शस्त्र धारी थे अपने न्याय हेतु दुष्टों का नाश करने के लिय ही वह शस्त्रों का उपयोग करते थे ये सुनकर मलूकचंद ने क्षमा मांगी और गुरु देव के दर्शन करकर गुरु देव का आशिर्वाद प्रपात किया इसके पश्चात गुरु तेग बहादुर जी मानव कल्याण के लिए प्रचार दौरा करने के लिऐ हरिद्वार पहुंचे और सतगुरु ने हरिद्वार के नजदीक ही डेरा लगाया साध संगत जी जैसे ही लोगों को मालूम हुआ कि सतगुरु नानक देव जी के नौवें उत्तराधिकारी उनके नगर में आए है तो उनके दर्शनों के लिए भीड़ उमड़ आई तो गुरू जी की ख्याति सुनकर एक सन्यासी गुरू जी से मिलने चला आया वह गुरु जी से मिला और अपनी गाथा गुरु जी को सुनाते हुए बोला कि हे गुरुदेव ! मैंने सुना है की श्री गुरु नानक देव जी गरहिस्थ जीवन में रहते हुए पूर्ण सत्य को पाने का मार्ग दर्शन करते थे बस मैं उसी ज्ञान की प्राप्ति के लिए भटक रहा हूं मैने जप तप योग साधना सभी कुछ किया परन्तु मैं थक चुका हूं मैं कितनी बारी तो तीरथ स्थानों पर गया लेकिन मेरा जो मन है वह काबू नही आता और वह कहने लगा कि मुझे ऐसा ज्ञान दे की मेरा मन प्रभू चरणों में पुरी तरह से जुड़ जाए तो गुरु देव ने उसकी समस्या का समाधान करते हुए कहा कि उसके लिए जंगलों में भटकने की ज़रूरत नही है प्रभु तो सर्व व्यापक है कण कण में है जैसे फूल में सुगंध और शीशे में परछाई रहती है उस भगवान को अपने हृदय में ही खोजें उसके पश्चात श्री गुरु तेग बहादुर जी ने जो शब्द कहे वह श्री गुरु ग्रंथ साहिब में अंग 684 में दर्ज है और उन शब्दों का अर्थ है कि हे भाई ! परमात्मा को ढूंढने के लिए जंगलों में क्यों जाता है, माना की माया के परभाव के कारण वह जीव से दूर है परंतु असल में वह हर जीव के अंदर बसा है हे भाई ! जैसे फूल में सुगंध बस्ती है जैसे शीशा देखने वाले का शीशे में अक्स बस्ता है वैसे ही परमात्मा एक रस सबके अंदर बस्ता है इसीलिए उसे अपनें अंदर ही तलाश करे हे भाई ! गुरू के आत्मिक जीवन का उपदेश ये बताता है कि अपने शरीर के अंदर और अपनें शरीर के बाहर परमात्मा को बस्ता समझो हे दास नानक अपना आत्मिक जीवन परखे बिना मन पर पडा हुआ भटकन का जाल दो नहीं हो सकता और तब तक परमात्मा की सूझ नही आ सकती यानी कि प्राप्ति नही हो सकती इसके पश्चात श्री गुरु तेग बहादुर जी से राजा राम सिंह जी ने असंख्य राजा चक्रवत सिंह को खतम करने के लिए अपनें साथ चलने का आग्रह किया जैसे की आप जानते है की सतगुरु नानक देव जी ने भी असंख्य यात्रा की थी और वहां पर जादूगरनी नूर शाह का तिलस्म तोड़कर उसको अपनी दूसरी महिला सिख बनाया था परंतु जिस समय सतगुरु तेग बहादुर जी वहां पर पहुंचे उस समय भी वहा पर काला जादू और तंत्र मंत्र का बोल बाला था सबसे पहले गुरु तेग बहादुर जी ने असंख्य सिख संगत जो गुरू नानक देव जी के समय बनी थीं उन्हे वह स्थान दिखाया यहां पर श्री गुरु नानक देव जी विराजे थे तो साध संगत जी जब राजा चक्र बत को पता चला की सतगुरु नानक देव जी के नौवें उत्तराधिकारी राजा राम सिंह जी के साथ आए है तो उन्होने एक सिद्ध पुरष का मुकाबला तंत्र मंत्र से करने के लिए एक जादूगरनी को भेजा तो जादूगरनी ने अपनी शक्ति से एक बहुत बड़ी शिला को मजायिल की तरह सतगुरु तेग बहादुर जी के ऊपर फेंका परंतु वह शिला गुरु साहिब का कुछ नही कर पाई तो उसके पश्चात उसने गुरु साहिब पर पीपल के पेड़ से वार किया लेकिन गुरु साहिब ने वह पेड़ हवा में ही रोक दिया तो जादूगरनी को गुरु साहिब के पहुंचे होने का एहसास हुआ और उसने अपने किए कर्मों की उनसे क्षमा मांगी तो गुरु जी ने दोनो राजायों को शांति के साथ समझोता करने के लिए कहा साध संगत जी जिस स्थान की ये घटना है वहा पर आज गुरुद्वारा श्री गुरू तेग बहादुर साहिब है और ये स्थान धुबरी में है जिस स्थान पर श्री गुरु नानक देव जी बैठे थे उसे थडा साहिब कहते है वह पत्थर की शिला जो जादूगरनी ने फेंकी थी वह आज भी वहां धसी हुई है और जिस स्थान पर सतगुरु ने ध्यान किया था उस स्थान पर पेड़ लगा है जो जादूगरनी ने सदगुरु पर फेंका था साध संगत जी अब बहुत सारे लोग ये भी कहेंगे की अगर गुरु साहिब में इतनी शक्ति थीं तो उन्होने मुगलों का अत्याचार हस्ते हस्ते क्यों सहा, तो साध संगत जी हम चाहें किसी को संत कहे या अवतार उनका इस धरती पर आना और जाना पहले से ही तह है और वह ये बात पहले से ही जानते होते है कि अब वह घड़ी आ गई है कि अब उन्होने इस शरीर रूपी चोले को छोड़ना है अगर ऐसा नहीं होता तो चाहे जीसस हो, चाहे श्री राम हो, चाहे मोहम्मद साहिब हो, चाहे श्री गुरु नानक देव जी हो, इनको कोई शक्ति नुकसान नही पहुंचा सकती थीं गुरु जी इसके पश्चात आगरा के लिए रवाना हो गए तो वहां पर क्या हुआ इसके बारे में जानने के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर लीजिए और बैल आइकन पर जरूर प्रेस कीजिए ताकि हम जैसे ही नई साखी अपलोड करेंगे उसकी नोटिफिकेशन आप तक पहुंच जाया करेगी ।

साध संगत जी इसी के साथ हम आपसे इजाजत लेते हैं आगे मिलेंगे एक नई साखी के साथ, अगर आपको ये साखी अच्छी लगी हो तो इसे और संगत के साथ शेयर जरुर कीजिए, ताकि यह संदेश गुरु के हर प्रेमी सत्संगी के पास पहुंच सकें और अगर आप साखियां, सत्संग और रूहानियत से जुड़ी बातें पढ़ना पसंद करते है तो आप नीचे E-Mail डालकर इस Website को Subscribe कर लीजिए, ताकि हर नई साखी की Notification आप तक पहुंच सके । 

By Sant Vachan


Post a Comment

0 Comments