साध संगत जी आज की साखी श्री गुरु हरगोबिंद महाराज जी के समय की है जब जंगल में शिकार करते समय एक शेर ने सतगुरु पर हमला किया था तब क्या हुआ था आईए बड़े ही प्रेम और प्यार के साथ आज का यह प्रसंग सरवन करते है ।
सच्चे पातशाह धन श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी महाराज जहागीर को मिलने के लिए अमृतसर से चलकर दिल्ली पहुंच गए और जहांगीर गुरु जी को मिलकर बहुत ही प्रसन्न हुआ एक अच्छा स्थान देखकर गुरु जी का उसने डेरा करवाया, भारी संगत गुरु जी के दर्शन करने के लिए आने लगी डेरे में सभी लोग सतनाम का सिमरन करते थे इस तरह अनुभव होता था जिस तरह अमृत बरखा हो रही हो सुबह होने तक सतगुरु जी की वाणी को बड़े प्रेम के साथ पढ़ते सुनते थे रबाबी आसा जी की वार का गायन करते थे और सुंदर ढंग से राग रागनिया का आलाप करते थे गुरु जी के कपड़े सुंदर और कोमल थे, बहुत पल्ला वाला जामा गुरुजी ने पहना हुआ था और सुंदर रंगदार दस्तार सजाई हुई थी जो सीस पर सजाई हुई बड़ी शोभा पा रही थी उस पर हीरे जवाहरात जड़े हुए थे कलगी ऊपर मोतियों के गुच्छे परुए हुए थे सोने के साथ जड़ा हुआ बड़ा पलंग था सुंदर कपड़े विशान करके बड़ा नरम और सुहावना लग रहा था गुरुजी पलंग ऊपर बैठकर महान दीवान लगाते थे, जोदे कई प्रकार के शस्त्र धारण करके गुरु जी के दर्शन करते थे सभी संगत की मनोकामना गुरु जी के दर्शन करके पूरिया होती थी नगर से लेकर गुरु जी के निवास तक संगत की भारी लाइन लग जाती थी संगत कहती थी जिनके दर्शन करन के लिए सैकड़े कोहा पर जाते थे वह सुखदाते हमारे घर आए हैं हम में से कोई मंदे भागो वाला होगा जो जाकर गुरु जी के दर्शन नहीं करेगा इसी तरह एक दिन गुरुजी दीवान सजाकर बैठे थे इतने में ही वजीरखान आ गया गुरुजी के चरण कमलों पर उसने सिर निवाया गुरु जी ने बड़े आदर के साथ उसको बिठाया गुरुजी का स्वरूप देखकर श्रेष्ठ प्रेम जाग गया फिर हाथ जोड़कर विनती की बादशाह सलामत बड़ा प्रेम धारण करके आप जी को याद कर रहा है आप जी के दर्शन करने की उनकी बड़ी चाह है आप जी के अनेक गुण सुन सुन कर वह सहज सुबह आप जी के दर्शन करना चाहते हैं कृपा करके उनके पास चलो आप मित्रों को सुख देते हैं और वेरियो का नाश करते हो गुरुजी ने वजीर खान को कहा अभी बहुत संगत चलकर आई है बड़ी शरदा धार के दर्शन करके सुख पा रहे हैं इनकी मनोकामना पूरी हो और सभी कड़ा प्रसाद प्राप्त कर सके गुरु का प्रसाद लेकर घर में बांटते हैं और सभी परिवार का जन्म सफल करते हैं बहुत प्रेमी दर्शन के लिए आए हैं हम इनको छोड़ कर कैसे जा सकते हैं जब इनकी आस पूरी हो जायेगी, दर्शन कर कर के अपने घर को चले जाएंगे फिर ही हम बादशाह के पास जाएंगे, पल्ला मेल करके दिल प्रसन्न हावेगा, वजीरखान गुरुजी से प्रसाद लेकर और आज्ञा लेकर वापस आ गया फिर सभी बातचीत उसने आकर जहांगीर को सुनाई, बाद में जब भी बादशाह याद करता था फिर वह गुरु जी को अपने पास बुला कर दर्शन करता था शिकार करने के लिए बाहर जंगल में जाते थे संघने वन फेर कर फिर बाहर आते थे बादशाह को गुरुजी के बारे में पता लगा कि उनको शिकार खेलने के साथ बहुत प्रेम है एक दिन गुरु जी को अपने साथ लेकर घोड़ों पर चढ़कर शिकार खेलने के लिए गए शिकारी महकमे के अफसरों ने शिकड़े ले लिए थे शिकारी जूररे, बाज़, कुत्ते और खुईया ले ली शिकार करने के लिए गड्ढों के ऊपर चित्रे चढ़ा दिए थे जब जंगल में दाखिल हुए तो हिरण भेयभीत हो गए, शिकारी पंछी दूसरे पंछी को झपाटा मारकर पकड़ लेते थे सुरा, सेहा 12 सिंग्या और हिरणों को बंदूकों के साथ मार देते थे कईयों को तीरों और तलवार के साथ मार देते थे, पांडा को गुरु जी ने घेर घेर के मारा बड़ी फुर्ती के साथ तीर चलाए अपने आगे से किसी को भी जाने नहीं दिया, बादशाह देखकर बहुत प्रसन्न हुआ, शस्त्र विद्या में बहुत महान समझे सभी तमाशा देख कर दिल से बहुत प्रसन्न हूं इसी तरह एक दिन बादशाह को खबर मिली एक जगह पर महान बली शेर रहता है बादशाह ने सभी को कहा उस तरफ कूच करो जहां पर बड़े बलवान शेर है मैने सुना है फिर बादशाह गुरु जी को साथ लेकर हाथी के ऊपर चढ़कर उस तरफ चल पड़ा जब जंगल में उसकी खोज की तब शेर पवका मारता हुआ निकला उसको देख कर के इस रूप में भाग गए उसकी आवाज़ सुनकर कोई भी उसके नजदीक नहीं आ रहा था घोड़े घबरा गए तो उनका मल मूत्र निकल गया उस तरफ इतनी भयानकता थी ना ही तो उस तरफ हाथी जाते थे और ना ही घोड़े जाते थे बादशाह का हाथी किसी तरह खड़ा नहीं होता था जिस तरह महान सूरमे के सामने डरपोक नहीं खड़ा होता जब फिर बादशाह ने गुरु जी को बड़े धीरज के साथ निडर खड़े हुए देखा बादशाह ने गुरु जी को कहा आप ही इस पर वार करें जब तक यह किसी और को मार ना दे तो फिर सतगुरु जी ने घोड़े को छोड़ दिया और तलवार और ढाल पकड़ कर उस तरफ चलेंगे बादशाह को कहकर बंदूके चलानी बंद करवा दी सभी तमाशा देखने लग गए जिस झल में शेर बैठा हुआ था उस झल की तरफ सभी देख रहे थे गुरु जी बड़े धीरज के साथ आगे बढ़ रहे थे मानो सोया हुआ बीज रस जाग पड़ा था जोश कारण शरीर का रंग बड़ा लाल सुर्ख हो गया था हाथ में तलवार और ढाल पकड़कर आगे बढ़ रहे थे गुरुजी ने नजदीक होकर शेर को वांगारिया और कहां बाहर निकल अब क्यों शक्ति हार गया है जब आमने-सामने दोनों की आंखें मिली तब शेर गरज के बाहर निकला शेर अपनी लंबी पूंछ अखीरले बाग जहां पर बालों का गुच्छा था भाव टोर को हिला रहा था खड़े हुए शेर की गर्दन के बाल बड़े डरवाने लग रहे थे शेर की लंबी वेल थी बड़े भयानक दात थे अपने शरीर को विस्तृत करता हुआ भवका मारता हुआ आ गया, देखने वाले सभी लोग हैरान रह गए वह सोचते थे कि गुरु जी इसके सामने नहीं बच सकेंगे हमने इससे पहले कभी इतना बड़ा शेर कहीं भी नहीं देखा है, दूर खड़े हुए डर रहे थे सभी मनुष्य देख रहे थे लेकीन कोई भी नजदीक नहीं आ रहा था गुरुजी के सामने आकर उसने शरीर को फैलाया सतगुरु जी ने धीरज धार के उस तरफ देखा बाएं हाथ में पकड़ी हुई ढाल उसके आगे कर दी और पूरे जोर के साथ उसके मुंह पर मारी, गुस्से में आकर बड़े जोर के साथ उसको धकेल दिया फिर आगे होकर पीछा किया फिर तलवार उठाई और दा लगा कर गिरते हुए शेर के पेट में खोब दी गुरुजी के हाथ से ऐसी तलवार चली कि शेर के पेट में फिर कर उसको दो फाड़ कर गई, शेर उल्टे पैर करके धरती पर गिर पड़ा, मरा हुआ जानकर लोग देखने के लिए आए बादशाह के हाथी को सुए मार मार के बड़ी मुश्किल के साथ उस तरफ किया बादशाह ने नजदीक होकर देखा बलवान शेर को देखकर बहुत हैरान हुआ सतगुरु जी को उसने धन-धन कहा नजदीक खड़े होकर उस तरफ देखने लगे शेर की जब जान निकल गई तो फिर महान प्रकाश हुआ आकाश में लाली फैल गई यह देखकर बादशाह ने अपनी आंखें ऊपर की और गुरु जी से पूछने लगे इस तरह क्या हुआ है यह कौन था और कैसे मर गया है इस तरह का प्रकाश क्यों दिखाई दिया है पहले कभी नहीं देखा है इस लिए में हैरान हुआ हूं यह सुनकर श्री गुरु हरगोबिंद जी ने कहा इसका नाम कासमबेग जानो आप बुला कर पूछ ले जो सुनना चाहते हैं उसका उत्तर सुन ले उसने जहांगीर का नाम लेकर बुलाया उस वृक्ष के ऊपर खड़े होकर उच्चारण किया पिछले जन्म में मैं मनुष्य जामे में था अभी शेर की जून धारकर इस जंगल में रहता हूं बादशाह अकबर आप जी के पिता जी थे मैं उनके कबीले में उनका भाई लगता था 1 दिन श्री गुरु अमरदास जी के पास बादशाह अकबर दर्शनों की आस लेकर गए मैं भी बादशाह अकबर के साथ था मैने इसका बड़ा गुस्सा किया कि बादशाह हिंदुओं की पूजा करने के लिए उनके पास जाते हैं मेरा कोई भी चारा नहीं चला और मुख से बहुत गलत शब्द कहे मनुष्य को सुना कर मैंने बहुत निंदा की मेरी बुद्धि जल गई थी रात में मैंने गोइंदवाल ही डेरा किया अचानक मेरे पेट में विशाल शूल उठा और में कच्चा मांस खा गया जो कि मेहदे में जाकर नहीं पचा, मरते वक्त मैं गुरु जी और मास को मन में चितवन किया, पेट दर्द करते ही मेरी मृत्यु हो गई मास का दोष करके शेर का शरीर धारण किया गुरु चितवन का बड़ा फल प्राप्त किया अब सतगुरु जी ने आकर मुझे मारा है भवसागर से मेरा उद्धार कर दिया है आप बहुत बड़े भागो वाले हो दर्शन कर रहे हो जिनका ध्यान लगाना जोगियों के स्वामी को अच्छा लगता है इस तरह कह कर वह शेर स्वर्ग में चला गया यह सुनकर बादशाह मन में बहुत हैरान हुआ उसका रूप और आकार ना देख सका जिस तरह वह वृक्ष पर बैठकर उस तरह ही सुन लिया सतगुरु जी की महिमा बड़ी जानी बहुत बलवान सुरमें के चलते अतिकीर्ति मानी गुरु जी की गद्दी में बड़ी करामात है हजारों के हृदय में आपने खुशियां पूर्ण की है बड़े भारी शक्तिशाली गुरुजी आप बहुत बहादुर हो एक शेर को ढाल ही मुंह पर मार कर गिरा दिया है जिस तरह बड़ा भारी शरीर है उस तरह हथियार भी बहुत बड़े और भारी हैं आप की बराबरी कौन कर सकता है बादशाह गुरु जी को अपने पास ले जाकर बहुत प्रसन्न हुए गुरु जी धीरे-धीरे पीछे हट गए गुरुजी का स्वरूप देखकर श्रेष्ठ जस कह रहे थे गुरु जी को बोलते हुए सुनकर फिर सम्मानित किया जिस समय शहर के नजदीक है बादशाह ने हाथ जोड़कर बंदना की सतगुरु जी अपने निजी डेरे को आ गए बादशाह किले में अपने निवास स्थान में चला गया सभी अमीर वजीर जिन्होंने गुरुजी को देखा था आपस में मिलकर बहुत जस करते थे कहते थे बहुत शक्तिशाली बहादर और बड़े सुरमें है घोड़े से नीचे आकर शेर को मार दिया है बहादुरी करके बादशाह को दिखाई है बादशाह ने अपने मुख से गुरुजी की कीर्ति गाई है इस तरह रात को अन पानी शक के सभी ने सुख के साथ सो कर रात गुजारी इस प्रकार गुरु जी ने कई दिन दिल्ली में रहकर संगत को निहाल किया और कुछ दिन बाद गुरुजी दिल्ली से कूच कर गए ।
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By Sant Vachan
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