जब दुआ और कोशिश से बात ना बने तो फैसला सतगुरु पे छोड़ दो, सतगुरु अपने बच्चो के बारे में बेहतर फैसला करते हैं, सतगुरु का सिमरन जुबान की हरकत नहीं रूह की पुकार है ।
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