परमार्थ के ऊँचे मकसद को पाने के लिये, रुहानी तरक्की के लिए हमे अपनी जिंदगी को ऐसे ढाँचे में ढालना होगा जिससे परमार्थ और स्वार्थ यानी रूहानियत और रोज़ाना की जिंदगी दोनों अलग अलग नज़र न आएँ ।
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