आज का रूहानी विचार ।। Spiritual Thought of the day

 "कलयुग में कीर्तन प्रधाना गुरुमुख जपिये लाये ध्याना" इस कलयुग के समय में केवल एक ही भक्ति है

जो इंसान को पार लगा सकती है वह है कीर्तन की यानि आवाज, तन यानि शरीर के अंदर से आने वाली आवाज को ध्यान से सुनने की कला को ही कीर्तन कहा जाता है यानि शब्द धुन को सुनना किसी पूर्ण गुरू से नाम का भेद लेकर उसको जपना यानि सुमिरण करना, सिमरण कैसे करना है ? "लाये धयाना "ध्यान लगा कर जपना है ऐसा न हो की मन तो किसी और ही सोच विचार में घूमता रहे और शरीर सुमिरण के आसन में बैठा रहे "गुरुमुख जपिये लाये ध्याना"

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