मकड़ी अपने तार के सहारे ऊपर से नीचे उतरती है और उस तार के सहारे ही नीचे से ऊपर चढ़ जाती है,
महाराज संकेत करते हैं कि आत्मा रूपी मकड़ी शब्द के जिस अनादि तार द्वारा सतलोक से नीचे उतरी थी, शब्द के दीपक के प्रकाश द्वारा घट में रोशनी करके उसी तार के सहारे वापस ऊपर चढ़ सकती है ।
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