Guru Nanak Sakhi । अच्छे लोगों के साथ बुरा क्यों होता है ?

 

साध संगत जी आज की साखी है कि अच्छे काम करने वाले जीवो के साथ बुरा क्यों होता है ऐसा ही प्रशन सतगुरु नानक के सामने भी उस समय के किसी व्यक्ति ने किया था और सतगुरु ने उसका जवाब क्या दिया था आइए बडे़ ही प्रेम और प्यार के साथ आज का यह प्रसंग सरवन करते हैं ।

किसी एक सत्संगी ने सवाल पूछा है अक्सर अच्छे लोगों के साथ बुरा क्यों होता है इस प्रशन का जवाब ढूंढने की हमने भी कोशिश की और श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी इस पर कहते हैं The Body is the field of karma in this age, whatever you plant, you shall harvest  श्री गुरु ग्रंथ साहिब इन सभी विषयों पर प्रकाश डालते हैं परंतु उन शब्दों को समझने के लिए हमे बहुत ज्ञान होना चाहिए गुरु नानक देव जी की जिंदगी या और गुरुओं की जिंदगी की साखियां अगर आपने सुनी है तो श्री गुरु ग्रंथ साहिब की गहरी बातो को समझना और आसान हो जाता है यह सवाल जो आज उठा है गुरु नानक देव जी के सामने भी उठा था गुरु जी के दो शिष्य थे एक वह जो रोज गुरु जी की सेवा में आता था और दूसरा वह जो वेश्या के पास जाता था बहुत समय गुजर गया तो एक दिन वह व्यक्ति जो वेश्या के पास जाता था उसने अपने दोस्त को कहा तुम तो रोज सत्संग सुनते हो और मैं रोज वेश्या के पास जाता हूं हम दोनों के ही जीवन में कोई फर्क नहीं आया तो अगर मैं वेश्या के पास जाता हूं तो क्या बुरा है तुम गुरु के पास जाते हो तो तुमने कौन सा अच्छा फल पा लिया इस बात ने अच्छे व्यक्ति के दिमाग पर गहरा प्रभाव किया और दोनों में तय हुआ कि जो दोस्त वेश्या के पास जाता है वह वेश्या के जाए और जो दोस्त गुरु के पास जाता है वह गुरु के पास जाए वापस आने पर दोनों मित्र एक पेड़ के नीचे मिलेंगे और इस बात पर विचार करेंगे दोनों मित्र अपने-अपने स्थान पर निकल गए परंतु क्योंकि वेश्या कोठी पर नहीं थी इसलिए बुरा व्यक्ति वापस जल्दी आ गया और पेड़ के नीचे बैठ गया समय बिताने के लिए उसने एक लकड़ी से जमीन को खोदना शुरू कर दिया थोड़ी देर में उसे एहसास हुआ कि जमीन के नीचे कुछ है उसने जमीन को खोदा तो पाया कि जमीन के नीचे मटका है और जब उसने उस मटके में देखा तो उसे सोने का सिक्का मिला वह बहुत खुश हुआ इतने में अच्छा व्यक्ति भी गुरुजी से गुरबाणी सुनने के पश्चात वापिस तय हुए स्थान पर पहुंचने के लिए निकल गया रास्ते में उसके पांव में कांटा चुभ गया जब वह लंगड़ाता लंगड़ाता अपने दोस्त के पास पहुंचा तो बुरे व्यक्ति ने उसे कहा देखा आज भी मैं ही फायदे में रहा तुम्हें कांटा मिला और मुझे यह सोने का सिक्का अच्छा व्यक्ति यह सुनकर हैरान हो गया और वह इस बात का राज गुरुजी से जानने के लिए अपने दोस्त संग उनके स्थान हो निकल गया जब गुरु जी से यह बात पूछी गई कि सत्संगी को काटा और वेश्या के घर जाने वाले को सोने का सिक्का यह क्या राज है तो इस पर श्री गुरु नानक देव जी ने दोनों को बताया हम सब का बहीखाता परमात्मा के पास है जो वेश्या के जाता है असल में पिछले जन्म में एक अच्छा और नेक व्यक्ति था और उसे आज सोने के सिक्के से भरा मटका मिलना था परंतु क्योंकि वह इस जन्म में बुरे काम कर रहा है इसलिए उसे पूरा सोने के सिक्के से भरा मटका ना मिलकर सिर्फ एक सोने का सिक्का मिला और तुम पिछले जन्म में बुरे काम करते थे इसलिए आज तुम्हारी मृत्यु होनी थी परंतु क्योंकि तुम इस जन्म में अच्छे काम कर रहे हो इसलिए तुम्हारी मृत्यु टल गई और वह एक छोटी सी चोट में बदल गई अब तुम लोग ही तय करो कि हमें अच्छे काम करने चाहिए या बुरे श्री गुरु ग्रंथ साहिब भी यही कहते हैं कि जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे इसलिए बुरे कर्म छोड़कर अच्छे कर्म करें क्योंकि आपका एक-एक कर्म परमात्मा के खाते में लिखा जा रहा है जिसका फल आपको आज नहीं तो कल जरूर मिलेगा अगर आपने वह साखी नहीं सुनी है तो आइए बड़े ही प्रेम के साथ आज का यह प्रसंग सरवण करते हैं एक रास्ता गुरुजी के स्थान की ओर जाता था और दूसरा रास्ता वेश्याओं के घर की ओर इतफाक़ से उस दिन भाई जीवन और लाला को दूसरे रास्ते पर एक वेश्या दिखाई दी वेश्या को देखकर लाला का दिमाग अपने आप में नहीं रहा है वह उस दिन गुरु जी के दर्शन तो करने गया परंतु उसके दिमाग में उस बेहद ही खूबसूरत वेश्या का ख्याल आता रहा अगले दिन दोनों फिर गुरु जी के दर्शन करने को निकले परंतु जैसे ही दुकान वाले लाला को वेश्याओं के घर वाला रास्ता दिखाई दिया उसका मन फिर से उसी वेश्या को देखने और मिलने को करने लगा उसने भाई जीवन से कहा अरे भाई जीवन तुम गुरु जी के जाओ मुझे जरा किसी से मिलना है भाई जीवन गुरु जी के स्थान की ओर चले गए और दुकान वाले लाला उसी वेश्या के स्थान पर चले गए यूं ही चलता रहा भाई जीवन तो गुरुजी के पास जाते थे परंतु लाला उस वेश्या के स्थान पर जाते थे जब भाई जीवन को यह पता चला कि लाला कहां जाते हैं तो उन्होंने लाला से कहा shi shi shi लाला यह आप क्या कर रहे हैं एक तरफ पवित्र गंगा बह रही है और दूसरी तरफ नाला और आप गंगा को छोड़कर नाले में इशनान कर रहे हैं क्या फर्क पड़ता है तुम गुरु जी के यहां  जाते हो मैं वेश्या के स्थान पर जाता हूं एक समय में निकलते हैं एक स्थान से निकलते है वापिस भी लगभग एक ही समय पर आते हैं तुम मुझे यह बताओ तुम्हारी जिंदगी में गुरु जी के आने के पश्चात क्या फर्क पड़ा कुछ धन, दौलत या कोई और अच्छी बात हुई क्या नहीं ऐसा तो कुछ नहीं हुआ मेरे साथ मैं भी जितना पहले कमाता था उतना ही आज कमा रहा हूं तो जब दोनों की जिंदगी में कोई फर्क ही नहीं पड़ा तो चाहे तुम गुरु जी के जाओ या मैं वेश्या के घर क्या फर्क पड़ता है मेरे को तो कुछ समझ नहीं आ रहा है मैं आज गुरुजी के जाऊंगा तुम अपने स्थान पर जाओ वापिस आने के बाद हम इसी पेड़ के नीचे बैठकर सोचेंगे कि हमने क्या पाया और क्या खोया हां यह बात सही है दोनों यह बात कहकर अपने अपने स्थान की ओर चले गए लाला ने वेश्या का दरवाजा खटखटाया परंतु दरवाजा एक आदमी ने खोला और लाला से कहा अरे भाई आज नहीं है वो जाओ कल आना लाला वापिस चला गया उस पेड़ के नीचे इंतजार करने लगा यहां मिलने की ठहर हुई थी समय ना बीतने के कारण वह एक पत्थर से ज़मीन खोदने लगा थोड़ी ज़मीन खोदने पर उसे एक सोने का सिक्का मिला वह बहुत खुश हुआ तो एक ख्वहाड़ा लेकर ज़मीन खोदने लगा जब उसने वहा एक मटका देखा तो वह जोर से चिलाया अरे मिल गया मिल गया खज़ाना मिल गया मेरी तो आज जिंदगी बन गई मेरी परंतु जैसे ही उसने मटके को देखा उसमे कोयला भरा था वह बोला अरे काश इसमें सोना भरा होता चलो कम से कम एक सिक्का तो मिला सोने का मुझे तो सोना मिला है देखते हैं आज भाई जीवन को क्या मिलता है तभी भाई जीवन नजदीक आए उसके पांव में बहुत खून निकल रहा था लाला ने पूछा अरे क्या बात हुई भाई जीवन यह खून कैसा है क्या बताओ लाला आते समय पांव में कांटा चुभ गया लगता है घाओ बहुत गहरा है बहुत दर्द हो रहा है तो भैया फैसला हो गया मैं फायदे में रहा हूं और तुम नुकसान में मैं यहां बैठा था तो मुझे एक सोने का सिक्का मिला और तुम्हें क्या मिला पांव मे घाओ लाला मुझे भी कुछ समझ में नहीं आ रहा है इस बात का वैसे हमे गुरु जी से पूछना पड़ेगा कि अच्छे कर्म करने वाले को घाओ और बुरे कर्म करने वाले को सोने का सिक्का चलो चलते हैं दोनों गुरुजी के पास पहुंचे भाई जीवन बोले गुरु जी मैंने तन मन धन से आपके सेवा करी और लाला ने रोज एजाशी करी और आज इसे सोने का सिक्का मिला और मुझे घाओ ऐसा क्यों गुरु जी ? गुरुजी ने कहा इस दुनिया में हर जीव का बहीखाता उस ईश्वर के पास है हमने इस जन्म में ही नहीं अपने पूर्व जन्मो में भी क्या-क्या किया है वह भी सब उसमें लिखा है पिछले जन्म में लाला एक अच्छा इंसान था वह नेक काम करता था उस जन्म का लाभ लाला को इस जन्म में मिला और उसे एक सोने का सिक्का मिला परंतु वह इस जन्म में बुरे काम कर रहा है जिस कि वजह से उसे सिर्फ एक सोने का सिक्का मिला और बाकी सब कोयले में बदल गए और भाई जीवन तुमने अपने पूर्व जन्म में बुरे काम किए थे उनका फल तुम्हें आज मिला और आज तुम्हारी मृत्यु होनी थी परंतु तुम्हारे इस जन्म के अच्छे कामों ने उस मृत्यु को एक छोटी सी चोट में बदल दिया अब तुम दोनों फैसला करो कौन फायदे में रहा और कौन नुकसान में हमें अच्छे कर्म करने चाहिए या बुरे यह सुनकर भाई लाला गुरु जी के बताए रास्ते पर चलने लगे ।

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By Sant Vachan


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