अज्ञानी व्यक्ति गलती छिपाकर बडा बनना चाहता है औऱ ज्ञानी व्यक्ति गलती मिटाकर बडा बनना चाहता है,
स्वीकार करने की हिम्मत और सुधार करने की नीयत हो तो भूल में से भी इंसान बहुत कुछ सीख सकता है, भलाई करते रहिए बहते पानी की तरह बुराई खुद ही किनारे लग जाएगी कचरे की तरह ।
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