दुनिया की बाहरी भाग दौड़ करने से अच्छा है कि अंदर अपने गुरु के आगे फरयाद करना,
गुरु से मांगना क्योंकि कई बार किस्मत मे वह नही लिखा होता जिसे पाने की कोशिश हम उम्र भर करते है लेकिन अगर वही गुरु से मांगा जाए, तो गुरु खुश होकर हमे वह भी दे सकता है जो हमारे भागों मे नही लिखा है ।
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