सत्संग, सेवा और नाम सुमिरन से मन को रोज साफ़ करते रहो, ताकि गंदगी मजबूत ना हो,
आत्म-कल्याण और सत्य (परमात्मा) की प्राप्ति हेतु एक ही शर्त है बस, निष्कपट, निर्दोष, निर्वैर, निष्कलंक और सर्व हिताय का चिन्तन रखना ।
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