संगत का फर्क ऐसे होता है जैसे पानी की एक बूंद गर्म तवे पर पड़े तो वो सुख जाती है, कमल के पत्ते पर पड़े तो मोती की तरह चमकने लगती है,
सिप में आये तो खुद मोती बन जाती है, पानी की बूंद तो वही है बस संगत का फर्क है, उसी तरह से परमात्मा तो एक ही है बस उसे हर धर्म वाला अपनी नजर से देखता है और अपने धर्म के मुताबिक अलग अलग नामों से पुकारता है ।
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