रत्ती भर का अभ्यास, मन भर ज्ञान से कहीं अच्छा है, संतमत के सिद्धाँतोँ का ज्ञान किस काम का अगर उनके अनुसार हमारी रहनी न हो,
अमल और अभ्यास से रहित विद्वान, उस पशु के समान है जिसकी पीठ पर किताबों का भार लदा हो, उपदेश देने से भजन सिमरन का अभ्यास करना हजार गुना अच्छा है या भजन सिमरन में होने वाले अभ्यास कहीं अच्छे है ।
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